सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों की अवैध कटाई पर जताई चिंता, कहा— हिमाचल-उत्तराखंड जैसी आपदाओं की बड़ी वजह

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सुप्रीम कोर्ट ने देश के उत्तरी पर्वतीय राज्यों में हाल के बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए पेड़ों की अवैध कटाई पर कड़ी टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में अनियंत्रित व अवैध कटान ने प्राकृतिक संतुलन बिगाड़ा है, जिसके चलते आपदाओं की तीव्रता बढ़ गई है।

अदालत की टिप्पणी और नोटिस

शीर्ष अदालत ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान कहा कि प्रथम दृष्टया यह साफ दिख रहा है कि इन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर वन कटाई हुई है। अदालत ने इस स्थिति को बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाओं की एक बड़ी वजह बताते हुए केंद्र सरकार, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और प्रभावित राज्यों को नोटिस जारी कर विस्तृत जवाब देने का आदेश दिया। इस मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की गई है।

राज्यों और केंद्र से सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से पूछा कि वे अनियंत्रित कटाई रोकने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं। साथ ही, आपदा-प्रवण इलाकों में राहत और पुनर्वास, नदी प्रबंधन तथा दीर्घकालिक निवारक उपायों के बारे में भी जवाब तलब किया गया है। अदालत ने सॉलिसिटर जनरल से भी सुझाव मांगे और कहा कि यदि ज़रूरी हुआ तो तुरंत सुधारात्मक कार्रवाई की जाए।

पृष्ठभूमि और मौजूदा हालात

हाल ही में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भारी बारिश से भूस्खलन, बाढ़ और जान-माल का भारी नुकसान हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि पहाड़ों में पेड़ मिट्टी को स्थिर रखते हैं और जल प्रवाह को नियंत्रित करते हैं। जब इनकी कटाई होती है तो ढलानों की मजबूती कम हो जाती है, जिससे भूस्खलन और बाढ़ का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

हिमाचल प्रदेश में सेब के बागानों और वनभूमि पर अतिक्रमण से जुड़े विवाद पहले से ही अदालत में लंबित हैं। ऐसे में शीर्ष अदालत की हालिया टिप्पणी इन मुद्दों को और गहराई से देखने का अवसर देती है।

आगे की प्रक्रिया

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह इस मामले पर कड़ी निगरानी रखेगा। यदि केंद्र और राज्य सरकारों के जवाब संतोषजनक नहीं हुए तो अदालत तत्काल रोक-टोक या नए दिशा-निर्देश भी जारी कर सकती है। अब सभी की निगाहें आगामी सुनवाई पर टिकी हैं, जिसमें सरकारों और NDMA को आपदा प्रबंधन की अपनी योजनाओं और उठाए गए कदमों का ब्यौरा प्रस्तुत करना होगा।

 

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