उत्तराखंड सरकार और ISRO की साझेदारी: केदारनाथ हेली सेवाओं को मिलेगा डिजिटल सुरक्षा कवच

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देहरादून/केदारनाथ — केदारनाथ यात्रा में हेली सेवाओं को सुरक्षित और आधुनिक बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। उत्तराखंड सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के साथ मिलकर एक तकनीकी पहल शुरू की है, जिसे ‘डिजिटल कवच’ नाम दिया गया है। इसके तहत हेली संचालन को डिजिटल तकनीक से जोड़ा जाएगा ताकि यात्रियों और पायलटों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

डिजिटल कवच क्या है?

ISRO की ओर से तैयार किया जा रहा यह डिजिटल सिस्टम कई तकनीकी सुविधाएँ एक साथ उपलब्ध कराएगा। इसमें डिजिटल एलिवेशन मॉडल (DEM) शामिल है, जिससे घाटी और आसपास की भौगोलिक स्थिति का सटीक नक्शा मिलेगा। इसके अलावा, हेलिकॉप्टर की रीयल-टाइम लोकेशन ट्रैकिंग संभव होगी और कंट्रोल रूम को मौसम संबंधी अलर्ट समय पर प्राप्त होंगे। यह सिस्टम पायलटों को पहाड़ों के बीच उड़ान भरते समय और अधिक स्पष्ट जानकारी देगा, जिससे आकस्मिक घटनाओं की संभावना कम होगी।

क्यों जरूरी था यह कदम?

पिछले कुछ महीनों में हेली सेवाओं से जुड़े हादसों ने सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए थे। खासकर 15 जून 2025 को हुए हादसे के बाद सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए कुछ ऑपरेटरों के लाइसेंस निलंबित किए और सेवाओं पर सख्त निगरानी शुरू की। इन्हीं घटनाओं को देखते हुए तय किया गया कि हेली संचालन में तकनीक की मदद ली जाए, ताकि पायलट और कंट्रोल-रूम दोनों को सटीक व त्वरित जानकारी मिल सके।

यात्रियों के लिए लाभ

इस नई प्रणाली के लागू होने से यात्रियों को कई फायदे मिलेंगे।

उड़ानें अब और अधिक सुरक्षित व व्यवस्थित होंगी।

मौसम खराब होने या रूट में बदलाव की स्थिति में यात्रियों को पहले से सूचना दी जाएगी।

टिकट बुकिंग की प्रक्रिया भी पारदर्शी रहेगी, क्योंकि सरकार ने आधिकारिक IRCTC पोर्टल से ही बुकिंग करने का निर्देश दिया है। इससे धोखाधड़ी और फर्जी बुकिंग पर रोक लगेगी।

विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञ मानते हैं कि पहाड़ी क्षेत्रों में हवाई संचालन हमेशा चुनौतीपूर्ण रहता है। मौसम अचानक बदल जाना, दृश्यता कम होना और जटिल भूगोल हादसों का कारण बन सकते हैं। ऐसे में ISRO की सैटेलाइट तकनीक से तैयार यह डिजिटल कवच पायलटों को निर्णय लेने में बड़ी मदद करेगा और सुरक्षा का स्तर और मजबूत होगा। हालांकि, इसके सफल क्रियान्वयन के लिए नेटवर्क और तकनीकी इंटीग्रेशन को लगातार बेहतर बनाए रखना जरूरी होगा।

निष्कर्ष

केदारनाथ यात्रा हर साल लाखों श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ी होती है। ऐसे में उनकी सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। ISRO और उत्तराखंड सरकार की यह संयुक्त पहल न केवल हेली सेवाओं को आधुनिक बनाएगी बल्कि यात्रियों में भी भरोसा बढ़ाएगी। आने वाले समय में यह तकनीक अन्य पर्वतीय धार्मिक स्थलों पर भी लागू की जा सकती है।

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