मराठा आरक्षण आंदोलन: मनोज जरांगे ने चौथे दिन छोड़ा जल, दक्षिण मुंबई में यातायात बुरी तरह प्रभावित

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

मराठा आरक्षण की माँग को लेकर शुरू हुआ आंदोलन लगातार तेज़ होता जा रहा है। आंदोलन के प्रमुख नेता मनोज जरांगे पाटील का आमरण-उपोषण आज चौथे दिन में पहुँच गया और उन्होंने केवल अन्न ही नहीं, बल्कि अब जल का भी त्याग कर दिया है। उनके इस कदम ने आंदोलन की गंभीरता को और बढ़ा दिया है।

आज़ाद मैदान में जुटी भीड़

आज़ाद मैदान और आसपास के इलाकों में हज़ारों की संख्या में मराठा समाज के लोग इकट्ठा हुए हैं। बढ़ती भीड़ और प्रदर्शनकारियों की मौजूदगी के कारण सीएसएमटी (CSMT) और दक्षिण मुंबई की कई प्रमुख सड़कें जाम हो गईं। मुंबई ट्रैफिक पुलिस को कई मार्गों पर डायवर्जन लागू करने पड़े। यातायात व्यवस्था बिगड़ने से बसों और निजी वाहनों की रफ्तार थम गई, वहीं कई स्कूलों ने एहतियातन छुट्टी घोषित कर दी।

जरांगे की घोषणा

मनोज जरांगे ने कहा है कि जब तक मराठा समाज को OBC श्रेणी में शामिल कर आरक्षण नहीं दिया जाता, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। चौथे दिन जल त्यागने के फैसले ने आंदोलन को और कठोर रूप दे दिया है। समर्थक भी उनके साथ डटे हुए हैं और आंदोलन को लंबा चलाने का इरादा जताया है।

प्रशासन की कोशिशें

राज्य सरकार फिलहाल इस मामले में कानूनी और संवैधानिक विकल्प तलाश रही है। सूत्रों के मुताबिक शीर्ष अधिकारियों की बैठकों का दौर जारी है। वहीं, मुंबई पुलिस और प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने और शहर के सामान्य जीवन को प्रभावित होने से बचाने के लिए इलाके में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए हैं। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया है कि हाई कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों से मार्ग खाली करने का निर्देश दिया है।

ट्रैफिक और नागरिकों की दिक्कतें

मुंबई ट्रैफिक पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे आज़ाद मैदान और सीएसएमटी के आसपास के रास्तों से बचें और वैकल्पिक मार्गों का इस्तेमाल करें। सार्वजनिक परिवहन पर भी दबाव बढ़ गया है और लोकल ट्रेन व बसों में भारी भीड़ देखी जा रही है। पुलिस ने नागरिकों से केवल ज़रूरी होने पर ही बाहर निकलने की सलाह दी है।

आंदोलन की पृष्ठभूमि

मराठा समाज की आरक्षण की माँग कोई नई नहीं है। कई बार यह मुद्दा राजनीतिक और कानूनी स्तर पर सामने आ चुका है। हालांकि, अदालत के फैसलों और संवैधानिक प्रावधानों की वजह से यह मामला जटिल बना हुआ है। पिछले कुछ महीनों में आंदोलन ने फिर से रफ़्तार पकड़ी और अब जरांगे के नेतृत्व में यह नया चरण सरकार पर समाधान लाने का दबाव बना रहा है।

Leave a Comment

और पढ़ें