Adhikar Yatra” अपने अंतिम चरण में पहुँची। इस मौके पर देशभर के राजनीतिक समीकरण बदलते नज़र आए जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी, आरजेडी के युवा नेता तेजस्वी यादव और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव एक साथ मंच साझा करते दिखाई दिए। यह न केवल यात्रा का चरम बिंदु था बल्कि विपक्षी दलों की एकता का भी मजबूत संदेश था।
यात्रा का उद्देश्य और पृष्ठभूमि
कांग्रेस की यह यात्रा लगभग 16 दिनों तक बिहार के विभिन्न जिलों में चली। इसका मुख्य उद्देश्य मतदाताओं के अधिकारों की सुरक्षा और चुनाव आयोग द्वारा जारी नई मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियों के खिलाफ आवाज उठाना था। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर नाम काटे गए हैं, जिससे चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े होते हैं।
यात्रा के दौरान कांग्रेस ने ‘लोकतंत्र बचाओ’ का नारा दिया और जनता से अपील की कि वे मतदाता अधिकारों की रक्षा के लिए सजग रहें।
अखिलेश यादव का शामिल होना क्यों अहम?
यात्रा के अंतिम चरण में अखिलेश यादव का आना विपक्षी राजनीति में अहम माना जा रहा है। यूपी और बिहार की राजनीति सामाजिक समीकरणों से गहराई से जुड़ी है।
अखिलेश यादव ने मंच से कहा — “लोकतंत्र की नींव जनता के वोट से मजबूत होती है। अगर मतदाता सूची से लोगों के नाम गायब होंगे, तो लोकतंत्र कमजोर होगा। बिहार की जनता बदलाव की ताकत रखती है और यह आंदोलन उसी दिशा में एक कदम है।”
उन्होंने बीजेपी और चुनाव आयोग पर सीधा हमला बोला और कहा कि अब जनता को अपने अधिकारों के लिए जागना होगा।
राहुल और तेजस्वी के तेवर
राहुल गांधी ने कहा कि विपक्ष की यह एकता सिर्फ चुनावी रणनीति नहीं, बल्कि लोकतंत्र बचाने का आंदोलन है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे अपने मताधिकार का इस्तेमाल करें और हर गड़बड़ी के खिलाफ आवाज उठाएँ।
वहीं, तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार की जनता ने हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि “आज का यह मंच दिखा रहा है कि देश की विपक्षी ताकतें अब मिलकर लड़ेंगी और भाजपा को कड़ी चुनौती देंगी।”
जनता का माहौल और प्रतिक्रिया
सारण की गलियों और सड़कों पर जब तीनों नेता एक साथ रोड शो में निकले, तो माहौल जनसैलाब में बदल गया।
हजारों लोग झंडे, पोस्टर और नारों के साथ यात्रा में शामिल हुए।
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की जोड़ी को जनता पहले से जानती है, लेकिन अखिलेश यादव की मौजूदगी ने भीड़ के उत्साह को दोगुना कर दिया।
कई जगहों पर महिलाओं और युवाओं की भी भारी मौजूदगी देखने को मिली, जो इस यात्रा को सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि सामाजिक आंदोलन का रंग देती है।
राजनीतिक मायने और भविष्य
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस मंच से विपक्ष ने दो बड़े संदेश दिए हैं—
1. राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकता: कांग्रेस, आरजेडी और समाजवादी पार्टी का एक साथ आना भविष्य की बड़ी राजनीतिक लड़ाइयों की तैयारी को दिखाता है।
2. बिहार-यूपी कनेक्ट: बिहार और यूपी के गठजोड़ से बनने वाला समीकरण लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए चुनौती बन सकता है।
इसके अलावा, यह यात्रा सीधे-सीधे 2029 लोकसभा चुनाव और 2025 बिहार विधानसभा चुनाव के लिहाज़ से भी अहम मानी जा रही है।
