नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र इस बार राजनीतिक टकराव, विपक्षी हंगामे और लगातार स्थगनों के बीच ऐतिहासिक रहा। हालांकि विपक्ष ने इसे “लोकतांत्रिक परंपराओं को कमजोर करने वाला सत्र” कहा, वहीं सरकार के लिए यह विधायी दृष्टि से बेहद सफल रहा। पूरे सत्र में कुल 26 विधेयक पारित हुए — जिनमें से लोकसभा ने 12 और राज्यसभा ने 14 बिल पास किए।
सत्र के दौरान क्या हुआ?
विपक्ष ने कई बार सदन के भीतर नारेबाज़ी की और विधेयकों की प्रतियां फाड़ीं।
सरकार पर आरोप लगाया गया कि बिलों पर विस्तृत चर्चा का अवसर नहीं दिया गया।
कई बार हंगामे के चलते कार्यवाही बाधित हुई और स्पीकर को सदन स्थगित करना पड़ा।
इसके बावजूद सरकार ने तेजी से विधायी कार्यवाही को आगे बढ़ाया।
प्रमुख विधेयक जो पारित हुए
1. ऑनलाइन गेमिंग (विनियमन और संवर्धन) विधेयक, 2025
ऑनलाइन गेमिंग उद्योग को नियंत्रित करने के लिए यह पहला व्यापक कानून है।
इसका मकसद बच्चों और खिलाड़ियों की सुरक्षा, फर्जी गतिविधियों पर रोक और गेमिंग कंपनियों पर निगरानी बढ़ाना है।
2. संविधान (130वां संशोधन) विधेयक
इसमें संघ शासित प्रदेशों और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन से जुड़े बदलाव किए गए।
विपक्ष ने इस बिल को लेकर जोरदार विरोध किया और कहा कि यह “जल्दबाज़ी में लाया गया कदम” है।
3. कर और वित्तीय सुधार विधेयक
आयकर, प्रत्यक्ष कर और अन्य वित्तीय प्रावधानों में बदलाव।
सरकार का दावा है कि इससे निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी।
4. राष्ट्रीय खेल शासन और एंटी-डोपिंग संशोधन
खेल संगठनों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए।
डोपिंग से जुड़े मामलों में सख्त प्रावधान जोड़े गए।
5. समुद्री परिवहन और बंदरगाह संबंधी विधेयक
Merchant Shipping Bill, Indian Ports Bill, Coastal Shipping और Carriage of Goods by Sea से जुड़े प्रावधान।
सरकार का कहना है कि इससे बंदरगाह और शिपिंग सेक्टर को आधुनिक बनाया जाएगा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
6. खनिज और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े संशोधन
Mines and Minerals (Amendment) Bill – खनिज संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए।
IIM संशोधन – प्रबंधन संस्थानों की स्वायत्तता और प्रशासनिक सुधारों के लिए।
विपक्ष का आरोप
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने कहा कि सरकार ने कई विधेयक “बिना चर्चा” और “जल्दबाज़ी” में पारित किए।
विपक्ष का आरोप है कि संवैधानिक संशोधन जैसे गंभीर विषयों पर पर्याप्त बहस नहीं हुई।
कुछ विपक्षी सांसदों ने इसे “लोकतांत्रिक परंपराओं की अनदेखी” बताया।
सरकार का जवाब
सरकार का कहना है कि सभी विधेयक राष्ट्रीय हित और जनता की भलाई के लिए लाए गए।
वित्त, खेल, शिक्षा और परिवहन क्षेत्र में किए गए सुधार देश की प्रगति और निवेश को गति देंगे।
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि “विपक्ष चर्चा से भाग रहा है, सरकार पारदर्शी तरीके से काम कर रही है।”
आगे क्या?
अब इन सभी विधेयकों को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून का रूप मिलेगा।
संबंधित मंत्रालय इन पर नियम (Rules) और अधिसूचनाएँ जारी करेंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऑनलाइन गेमिंग और खेल शासन से जुड़े कानूनों का असर सीधे आम जनता और खिलाड़ियों तक पहुंचेगा।
वहीं आर्थिक और कर सुधार देश के वित्तीय ढांचे को मजबूत करने में मदद करेंगे।
निष्कर्ष
मानसून सत्र, भले ही विपक्षी हंगामे और राजनीतिक टकराव से घिरा रहा हो, लेकिन सरकार इसे अपने लिए एक विधायी उपलब्धि मान रही है। 26 विधेयकों का पारित होना आने वाले समय में देश की अर्थव्यवस्था, खेल, प्रशासन और परिवहन क्षेत्र पर व्यापक असर डालेगा। हालांकि विपक्ष का कहना है कि “लोकतांत्रिक चर्चा” से समझौता किया गया है — और यही इस सत्र की सबसे बड़ी बहस बनकर उभरी।
