नई दिल्ली, 20 अगस्त 2025 – संसद के मानसून सत्र में बुधवार को केंद्र सरकार ने “प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025” लोकसभा में पेश किया। यह विधेयक भारत के तेजी से बढ़ते ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र को नियंत्रित करने और सुरक्षित बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इसके तहत सरकार ने जहां रियल-मनी गेम्स पर पूर्ण प्रतिबंध का प्रस्ताव रखा है, वहीं ई-स्पोर्ट्स और शैक्षणिक खेलों को बढ़ावा देने की बात कही है।
विधेयक का उद्देश्य और पृष्ठभूमि
पिछले कुछ वर्षों में भारत में ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर तेजी से फैला है। 2020 में जहां गेमर्स की संख्या लगभग 36 करोड़ थी, वहीं 2024 तक यह आंकड़ा 50 करोड़ से अधिक हो गया। इस दौरान इस उद्योग में 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का विदेशी निवेश भी आया।
हालांकि, रियल-मनी गेम्स (यानी पैसे से खेले जाने वाले गेम्स) को लेकर लगातार शिकायतें मिलती रही हैं। सरकार का मानना है कि ऐसे खेल लत, धोखाधड़ी, वित्तीय नुकसान और यहां तक कि आतंकवाद फंडिंग जैसे खतरों को जन्म देते हैं। इसी पृष्ठभूमि में यह विधेयक लाया गया है।
विधेयक की प्रमुख धाराएँ
1. रियल-मनी गेम्स पर प्रतिबंध
ऐसे सभी खेल जिनमें वास्तविक धन का लेन-देन होता है, उन्हें प्रतिबंधित किया जाएगा।
इनके संचालन, विज्ञापन और प्रोमोशन को गैरकानूनी माना जाएगा।
2. कड़े दंड का प्रावधान
कानून तोड़ने वालों को 3 साल तक की कैद और 1 करोड़ रुपये तक जुर्माना हो सकता है।
विज्ञापन करने वालों पर 2 साल तक की कैद और 50 लाख रुपये जुर्माना लगाया जा सकता है।
बार-बार अपराध करने वालों के लिए सजा और भी कड़ी होगी।
3. ई-स्पोर्ट्स और अन्य खेलों को बढ़ावा
ई-स्पोर्ट्स, शैक्षिक और सामाजिक खेलों को अलग श्रेणी दी गई है।
इनके विकास के लिए एक राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण बनाने का प्रस्ताव है।
4. जांच और निगरानी की शक्ति
अधिकारियों को बिना वारंट तलाशी और गिरफ्तारी का अधिकार मिलेगा, ताकि अवैध गेमिंग नेटवर्क्स पर तुरंत कार्रवाई हो सके।
संसद में विरोध और बहस
बिल पेश किए जाने पर लोकसभा में भारी हंगामा देखने को मिला। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि यह विधेयक बिना उद्योग और संबंधित पक्षों से राय लिए लाया गया है।
कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा कि इस कदम से लगभग 20,000 करोड़ रुपये का वार्षिक कर राजस्व खतरे में पड़ सकता है। उनका कहना था कि लाखों युवाओं की नौकरियाँ प्रभावित होंगी और निवेशकों का विश्वास भी डगमगा सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि इस बिल को पहले संसदीय सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए।
उद्योग जगत की चिंता
गेमिंग इंडस्ट्री से जुड़े संगठनों ने भी इस विधेयक पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि:
पूर्ण प्रतिबंध से उद्योग की विकास गति धीमी हो जाएगी,
निवेशकों की रुचि कम होगी,
और सरकार को भारी राजस्व नुकसान उठाना पड़ेगा।
आगे का रास्ता
यह विधेयक अब संसद की विधायी प्रक्रिया से गुजरेगा। इसके तहत बहस होगी, संभव है कि इसे किसी समिति के पास भेजा जाए और फिर संशोधन के बाद इसे वोटिंग के लिए लाया जाएगा। यदि यह पारित हो जाता है तो भारत में ऑनलाइन गेमिंग का चेहरा पूरी तरह बदल जाएगा और रियल-मनी गेम्स पर पूरी तरह रोक लग जाएगी।
