चुनाव आयोग का सख्त बयान: “न पक्ष, न विपक्ष – सभी बराबर”, बिहार SIR विवाद पर मुख्य चुनाव आयुक्त की दो-टूक

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नई दिल्ली। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर उठे विवाद और विपक्षी दलों के आरोपों के बीच चुनाव आयोग ने बड़ा बयान दिया है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने साफ शब्दों में कहा है कि चुनाव आयोग किसी भी दल का पक्ष नहीं लेता और सभी राजनीतिक दल आयोग की नजर में बराबर हैं। उन्होंने कहा कि आयोग का काम केवल निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करना है।

विपक्ष के आरोप और आयोग का जवाब

बिहार में मतदाता सूची से लाखों नाम हटाए जाने के बाद कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि यह “वोट चोरी” की सुनियोजित कोशिश है। विपक्ष ने दावा किया कि इस प्रक्रिया में बड़ी संख्या में गरीब, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों के नाम हटाए गए हैं।

इन आरोपों को लेकर चुनाव आयोग ने साफ किया कि SIR प्रक्रिया के तहत हर नाम की जांच की जाती है और केवल उन्हीं नामों को हटाया गया है, जो या तो स्थानांतरित हो चुके हैं, मृतक हैं या जिनके विवरण दोहराए गए थे। आयोग ने कहा कि यदि किसी मतदाता का नाम गलती से हट गया है, तो दावे और आपत्तियों की अवधि में उसे फिर से जोड़ा जा सकता है।

पारदर्शिता पर जोर

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि मतदाता सूची तैयार करने और संशोधित करने की पूरी प्रक्रिया संविधान और कानून के तहत होती है। उन्होंने बताया कि सभी स्तरों पर बूथ लेवल अधिकारी (BLO) से लेकर जिला निर्वाचन पदाधिकारी तक की निगरानी होती है। इसके अलावा, मतदाता सूची को सार्वजनिक भी किया जाता है ताकि कोई भी नागरिक उसमें अपनी आपत्ति या सुझाव दर्ज कर सके।

सुप्रीम कोर्ट की निगरानी

इस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल ही में टिप्पणी की थी कि यदि मतदाता सूची में गड़बड़ी या बड़े पैमाने पर नामों की कटौती सामने आती है तो न्यायालय दखल देने में पीछे नहीं हटेगा। अदालत ने चुनाव आयोग को संविधान के दायरे में रहकर निष्पक्षता से काम करने की हिदायत दी थी। चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोहराया कि वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करेगा और पारदर्शी प्रक्रिया ही अपनाई जाएगी।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

विपक्षी दल इस मुद्दे पर लगातार आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि SIR की आड़ में मतदाता सूची में हेरफेर किया जा रहा है, जिससे लोकतंत्र पर सीधा हमला हो रहा है। वहीं सत्तारूढ़ दल का कहना है कि विपक्ष केवल भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहा है क्योंकि चुनाव आयोग की प्रक्रियाएँ पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी हैं।

आयोग का संदेश

आयोग ने सभी दलों और नागरिकों से अपील की कि वे लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भरोसा रखें। आयोग ने यह भी कहा कि यदि किसी को आपत्ति है तो वह संवैधानिक और कानूनी रास्ते अपनाए। मुख्य चुनाव आयुक्त ने दोहराया कि चुनाव आयोग की जिम्मेदारी निष्पक्ष चुनाव कराना है और इसमें किसी भी तरह का पक्षपात नहीं होगा।

निष्कर्ष

बिहार SIR विवाद के बीच चुनाव आयोग का यह बयान काफी अहम माना जा रहा है। यह न केवल विपक्ष के आरोपों का जवाब है बल्कि चुनावी प्रक्रिया में जनता का भरोसा बनाए रखने की कोशिश भी है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आगामी ड्राफ्ट मतदाता सूची और दावे-आपत्तियों की प्रक्रिया में कितनी पारदर्शिता दिखाई देती है और क्या इससे मतदाता और राजनीतिक दलों की शंकाएँ दूर हो पाती हैं।

 

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