रूस से तेल खरीद पर अमेरिका की नजर: चीन पर टैरिफ लगाने पर विचार कर रहे हैं ट्रंप — उपराष्ट्रपति जेडी वेंस

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वाशिंगटन। अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने खुलासा किया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस से तेल आयात जारी रखने के कारण चीन पर भी टैरिफ लगाने की संभावना पर विचार कर रहे हैं। हालांकि, इस संबंध में अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।

वेंस ने रविवार को फ़ॉक्स न्यूज़ के Sunday Morning Futures कार्यक्रम में कहा,

> “राष्ट्रपति इस विषय पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया है।”

भारत के बाद चीन पर चर्चा

यह बयान ऐसे समय में आया है जब ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में भारत से आयातित कई उत्पादों पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इससे कुल टैरिफ दर 50% तक पहुंच गई है। प्रशासन का कहना है कि यह कदम भारत द्वारा रूस से ऊर्जा खरीद जारी रखने के कारण उठाया गया है।

चीन के मामले में, उपराष्ट्रपति वेंस ने स्वीकार किया कि स्थिति अधिक जटिल है, क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक एवं रणनीतिक रिश्ते कई संवेदनशील मुद्दों से जुड़े हैं।

चीन का तेल आयात और आधिकारिक रुख

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2025 में चीन ने रूस से 10 अरब डॉलर से अधिक मूल्य का कच्चा तेल खरीदा, जो मार्च के बाद का सबसे ऊंचा मासिक आंकड़ा है। हालांकि, साल-दर-साल तुलना में यह 7.7% की गिरावट दर्शाता है।

चीनी सरकार ने इस व्यापार को वैध बताते हुए कहा है कि रूस के साथ उसका आर्थिक सहयोग अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप है और यह उसकी ऊर्जा सुरक्षा रणनीति का हिस्सा है।

संभावित वैश्विक प्रभाव

आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि अमेरिका चीन पर भी भारत जैसी टैरिफ नीति लागू करता है, तो इसका असर वैश्विक व्यापार, ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला और बाजार स्थिरता पर गंभीर रूप से पड़ सकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इससे कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव बढ़ सकता है और अमेरिका-चीन के बीच व्यापारिक वार्ताएं और कठिन हो सकती हैं।

इसके अलावा, ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की संभावित मुलाकात यूक्रेन युद्ध, ऊर्जा बाजार और वैश्विक कूटनीति पर दूरगामी प्रभाव डाल सकती है।

मुख्य तथ्य:

ट्रंप चीन पर टैरिफ लगाने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं, निर्णय अभी लंबित है।

भारत पर पहले ही 25% अतिरिक्त टैरिफ लागू किया जा चुका है।

चीन ने रूस से तेल खरीद को वैध और राष्ट्रीय हित में बताया है।

संभावित असर: वैश्विक व्यापार, ऊर्जा आपूर्ति और बाजार स्थिरता पर दबाव।

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