नई दिल्ली/मस्कट: भारत और ओमान के बीच व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (Comprehensive Economic Partnership Agreement – CEPA) की वार्ताएँ अब औपचारिक रूप से पूरी हो गई हैं। यह समझौता दोनों देशों के व्यापारिक, औद्योगिक और रणनीतिक रिश्तों में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। मसौदे के आधिकारिक अनुवाद और कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसके हस्ताक्षर की घोषणा की जाएगी।
अंतिम प्रक्रिया और समयसीमा
अधिकारियों के मुताबिक, समझौते के टेक्स्ट को दोनों भाषाओं—अंग्रेज़ी और अरबी—में अंतिम रूप दिया जा रहा है। ओमान में अरबी अनुवाद और भारत में कानूनी समीक्षा समानांतर चल रही है। प्रक्रिया पूरी होते ही इसे दोनों देशों की कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। हालांकि सटीक तारीख घोषित नहीं की गई है, लेकिन वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार यह अगले कुछ हफ्तों से लेकर दो-तीन महीनों के भीतर संभव है।
पिछले पाँच वर्षों का FTA रिकॉर्ड
भारत ने हाल के पाँच वर्षों में पाँच प्रमुख मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) पर हस्ताक्षर किए हैं —
2022 में यूएई के साथ CEPA
2022 में ऑस्ट्रेलिया के साथ ECTA
मॉरीशस, दक्षिण कोरिया और जापान जैसे देशों के साथ हुए पुराने समझौतों को भी अद्यतन किया गया है।
भारत-ओमान CEPA इस क्रम में पश्चिम एशिया में भारत के व्यापारिक नेटवर्क को मज़बूत करेगा और खाड़ी देशों के साथ संपर्क को गहरा करेगा।
द्विपक्षीय व्यापार का मौजूदा परिदृश्य
2023–24 में भारत-ओमान का द्विपक्षीय व्यापार लगभग 13–15 अरब डॉलर के आसपास रहा।
भारत में आयात: कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पाद, एलएनजी, यूरिया और खनिज।
भारत से निर्यात: लौह-इस्पात, मशीनरी, ऑटोमोबाइल, रसायन, खाद्य उत्पाद और इलेक्ट्रॉनिक सामान।
भारत, ओमान में शीर्ष पाँच व्यापारिक साझेदारों में से एक है। वहीं ओमान, भारत के ऊर्जा और उर्वरक आयात के लिए एक भरोसेमंद स्रोत है।
“Omanisation” नीति और श्रमिक मुद्दे
ओमान की “Omanisation” नीति के तहत स्थानीय नागरिकों के लिए रोजगार अवसर बढ़ाने के प्रयास किए जाते हैं, जिससे विदेशी श्रमिकों की संख्या में कमी हो सकती है। CEPA वार्ता में इस मुद्दे पर भी चर्चा हुई, ताकि ओमान में काम कर रहे भारतीय पेशेवरों और श्रमिकों के हित सुरक्षित रहें। उम्मीद है कि समझौते में पेशेवर वीज़ा, श्रमिक अधिकार और कार्य-नियमों को लेकर सकारात्मक प्रावधान होंगे।
संभावित आर्थिक लाभ
टैरिफ कटौती: कई वस्तुओं पर आयात शुल्क कम होने से लागत घटेगी और उपभोक्ताओं को सस्ता माल मिलेगा।
निवेश वृद्धि: ऊर्जा, उर्वरक, बंदरगाह, शिपिंग और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बड़े निवेश की संभावना।
लॉजिस्टिक्स सुधार: बंदरगाह सुविधाओं और समुद्री परिवहन में सुधार से व्यापारिक समय और लागत घटेगी।
रणनीतिक साझेदारी: हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा, ऊर्जा मार्गों की सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता में सहयोग बढ़ेगा।
सुरक्षा और भू-राजनीतिक महत्व
ओमान, भारत का खाड़ी क्षेत्र में एक रणनीतिक सहयोगी है। ओमान के बंदरगाह, विशेष रूप से दूक्म (Duqm) पोर्ट, भारत की नौसैनिक गतिविधियों और व्यापारिक शिपिंग के लिए अहम हैं। इस समझौते से भारत को खाड़ी और अफ्रीका के बाज़ारों में बेहतर पहुंच मिलेगी।
विशेषज्ञों की राय
अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि CEPA लागू होने के बाद अगले पाँच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार 25–30% तक बढ़ सकता है। निवेश माहौल सुधरने से दोनों देशों के उद्योगों को नए अवसर मिलेंगे और छोटे एवं मझोले उद्यम (SMEs) को भी खाड़ी बाज़ार में प्रवेश आसान होगा।
भारतीय उद्योग जगत की प्रतिक्रिया
भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशंस (FIEO) ने इस समझौते का स्वागत किया है। उनका मानना है कि इससे इंजीनियरिंग गुड्स, फार्मास्युटिकल्स, जेम्स एंड ज्वैलरी और फूड प्रोसेसिंग सेक्टर को विशेष लाभ मिलेगा।
निष्कर्ष:
भारत-ओमान CEPA केवल व्यापारिक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि यह ऊर्जा, सुरक्षा, उद्योग और लोगों-से-लोगों के संबंधों को मज़बूत करने वाला एक व्यापक ढांचा होगा। इसके लागू होने के बाद भारत के पश्चिम एशिया में आर्थिक प्रभाव और खाड़ी देशों के साथ सहयोग नए स्तर पर पहुंचेगा।
