नई दिल्ली | 7 अगस्त 2025 — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि देश के किसानों के हित सर्वोपरि हैं। अमेरिका के साथ बढ़ते व्यापारिक तनाव के बीच उन्होंने एक सशक्त बयान देते हुए कहा कि वे किसानों की भलाई के लिए किसी भी “व्यक्तिगत कीमत” को चुकाने के लिए तैयार हैं।
यह टिप्पणी प्रधानमंत्री ने उस समय दी, जब अमेरिका ने भारतीय कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क (टैरिफ) को 50% तक बढ़ा दिया है। इस निर्णय से भारत के कृषि निर्यातकों पर दबाव बढ़ा है, लेकिन सरकार की तरफ से किसानों के हितों की सुरक्षा को लेकर दृढ़ता दिखाई गई है।
पृष्ठभूमि: क्या है अमेरिका-भारत के बीच चल रहा टैरिफ विवाद?
बीते सप्ताह अमेरिका ने भारतीय कृषि उत्पादों, डेयरी वस्तुओं और कुछ मछली उत्पादों पर 50 प्रतिशत तक का अतिरिक्त टैरिफ लगाने का फैसला किया। इसका कारण अमेरिका में किसानों के हितों की रक्षा और घरेलू बाजार को संतुलित करना बताया गया, लेकिन भारत ने इसे अनुचित और “एकतरफा” करार दिया।
इस टैरिफ का सीधा प्रभाव भारत से निर्यात होने वाले बासमती चावल, मसाले, दूध उत्पादों और अन्य कृषि वस्तुओं पर पड़ने वाला था, जिससे लाखों भारतीय किसानों की आय प्रभावित हो सकती थी।
पीएम मोदी का जवाब: किसानों के लिए लड़ाई, चाहे जो कीमत चुकानी पड़े
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन की जन्मशताब्दी पर आयोजित तीन दिवसीय वैश्विक कृषि सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में यह टिप्पणी की। उनका यह बयान न सिर्फ अमेरिकी नीति का जवाब था, बल्कि यह भारत की नीति का दृढ़ संकल्प भी था।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा:
> “हम अपने किसानों, मछुआरों और डेयरी उत्पादकों के हितों से समझौता नहीं करेंगे। अगर इसके लिए मुझे व्यक्तिगत रूप से कोई कीमत चुकानी पड़ी, तो मैं इसके लिए भी तैयार हूं।”
यह बात उन्होंने लगभग 50 देशों के प्रतिनिधियों और कृषि विशेषज्ञों के सामने कही। यह वक्तव्य न केवल भारत के किसानों में आत्मविश्वास भरता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी एक कड़ा संदेश है।
‘मित्रता तभी तक ठीक, जब उसमें सम्मान हो’ — ट्रंप पर सीधा संदेश
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ दिनों पहले भारत की कृषि नीतियों को “प्रोटेक्शनिस्ट” (संरक्षणवादी) बताया था और कहा था कि इससे अमेरिकी किसानों को नुकसान हो रहा है। इस पर पीएम मोदी ने पलटवार करते हुए कहा:
> “मित्रता तभी तक मूल्यवान है जब वह सम्मान पर आधारित हो। कोई भी संबंध समानता के बिना टिकाऊ नहीं हो सकता।”उनका यह बयान सीधे ट्रंप के बयान की ओर इशारा करता है और बताता है कि भारत अब किसी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव या आलोचना के आगे नहीं झुकेगा।
डेयरी, MSME और मछली पालन — इन पर भी विशेष जोर
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में यह भी स्पष्ट किया कि सिर्फ बड़े किसानों ही नहीं, बल्कि छोटे किसान, डेयरी उद्योग और मछलीपालक समुदाय भी सरकार की नीति का केंद्र हैं।
सरकार ने पिछले तीन वर्षों में निम्नलिखित पहलें की हैं:
PM किसान योजना के तहत अब तक 11.5 करोड़ किसानों को 6,000 रुपये वार्षिक सीधे बैंक खातों में।
PM Matsya Sampada Yojana में मछलीपालकों को 20,000 करोड़ रुपये का पैकेज।
डेयरी सेक्टर को 5% इंटरेस्ट सबवेंशन योजना के तहत सस्ती ऋण सुविधा।
वोकल फॉर लोकल और ‘अत्मनिर्भर कृषि’ की दिशा में भारत
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को और तेज करने का आह्वान किया। उन्होंने कृषि उत्पादों में स्वदेशी बीज, प्राकृतिक खेती और निर्यात-योग्य उत्पादन को बढ़ावा देने की बात कही।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत अब सिर्फ आत्मनिर्भर नहीं, बल्कि ‘अत्मनिर्भर और वैश्विक भागीदार’ की भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
FAO (Food & Agriculture Organization) के प्रतिनिधि ने पीएम मोदी की नीति को “कृषक हितैषी और स्थायी कृषि के लिए प्रेरणादायक” बताया।
US Trade Representative की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन अमेरिकी मीडिया में इसे “मोदी का आक्रामक रुख” करार दिया गया है।
निष्कर्ष: भारत झुकेगा नहीं, किसान टॉप प्रायोरिटी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्पष्ट संदेश यह है कि चाहे वैश्विक दबाव कितना भी क्यों न हो, भारत अपने किसानों, मछुआरों, डेयरी उत्पादकों और युवाओं के भविष्य के साथ समझौता नहीं करेगा। प्रधानमंत्री का यह संदेश उनके मजबूत नेतृत्व और राष्ट्रहित की नीति को दर्शाता है।
