भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने 1 अक्टूबर 2025 को हुई बैठक के बाद रेपो रेट को 5.50 प्रतिशत पर स्थिर रखने का निर्णय लिया। समिति ने सर्वसम्मति से यह फैसला लिया और अपने रुख को ‘न्यूट्रल’ बनाए रखा। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बैठक के बाद कहा कि मौजूदा हालात में ‘वेट-एंड-वॉच’ की नीति सबसे उपयुक्त है, ताकि पहले से लागू किए गए नीतिगत कदमों का असर पूरी तरह समझा जा सके। इस फैसले का सीधा मतलब है कि मौजूदा समय में आपके होम लोन, ऑटो लोन या पर्सनल लोन की ईएमआई पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं बढ़ेगा।
आरबीआई ने मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए वर्ष 2025-26 के लिए आर्थिक वृद्धि (GDP) का अनुमान बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। इसका आधार अप्रैल-जून तिमाही में बेहतर प्रदर्शन और घरेलू आर्थिक गतिविधियों में सुधार को माना गया। वहीं महंगाई को लेकर भी राहत भरी खबर आई है। केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति का अनुमान घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया है, जिसका श्रेय खाद्य वस्तुओं के दामों में नरमी और हाल ही में लागू की गई कर कटौतियों को दिया गया।
नीति दर स्थिर रखने से बैंकिंग सेक्टर में फिलहाल कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिलेगा। जिन लोगों के पास पहले से फ्लोटिंग रेट लोन है, उनकी ईएमआई तत्काल प्रभावित नहीं होगी। हालांकि, आगे चलकर बैंक अपनी आंतरिक नीतियों और एसेट-लायबिलिटी की स्थिति को देखते हुए ब्याज दरों में मामूली बदलाव कर सकते हैं। इसलिए उपभोक्ताओं को अपने बैंक से समय-समय पर लोन की शर्तें जांचते रहने की सलाह दी गई है।
इस फैसले पर बाज़ार ने भी हल्की सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। सरकारी बॉन्ड यील्ड में हल्की बढ़त दर्ज की गई, जबकि शेयर बाज़ार और रुपये में मामूली मजबूती देखी गई। विश्लेषकों का मानना है कि रेपो रेट स्थिर रखने का संकेत यह है कि केंद्रीय बैंक विकास और मुद्रास्फीति के बीच संतुलन साधते हुए अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।
आरबीआई ने आगे की रणनीति को घरेलू खपत, महंगाई की स्थिति और वैश्विक आर्थिक जोखिमों से जोड़कर देखा है। यदि महंगाई नियंत्रित रहती है और विकास की गति बनी रहती है तो भविष्य में दरों पर नरमी बरकरार रह सकती है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीति, ऊर्जा और खाद्य कीमतों में अचानक उतार-चढ़ाव जैसी परिस्थितियां मौद्रिक नीति की दिशा को प्रभावित कर सकती हैं।
कुल मिलाकर, आरबीआई का यह फैसला आम जनता के लिए राहतभरा है क्योंकि निकट भविष्य में लोन की ईएमआई में कोई बदलाव नहीं होगा। वहीं निवेशकों और बाज़ार के लिए यह संकेत है कि भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर गति से आगे बढ़ रही है और महंगाई का दबाव फिलहाल नियंत्रित है।
