गाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश। समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद अफ़ज़ल अंसारी ने एक ऐसा बयान दिया है, जिसने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। अक्सर भारतीय जनता पार्टी और संघ परिवार की विचारधारा पर सवाल खड़े करने वाले अफ़ज़ल अंसारी ने इस बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और उसके सरसंघचालक मोहन भागवत की खुले मंच से प्रशंसा की है।
गाज़ीपुर में एक कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए अफ़ज़ल अंसारी ने कहा कि “हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व करने के लिए दुनिया में आरएसएस से बेहतर कोई संगठन नहीं है। मोहन भागवत जी ने जो संदेश दिया है, वह वाकई काबिले-तारीफ है और समाज को उससे सीख लेनी चाहिए।”
भागवत के बयान का समर्थन
दरअसल, हाल ही में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अपने एक संबोधन में देश में भाईचारा और सामाजिक समरसता पर ज़ोर देते हुए कहा था कि मंदिर-मस्जिद के विवादों को राजनीति का साधन नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि नफ़रत फैलाने वाला कारोबार बंद होना चाहिए और देश को आगे बढ़ाने के लिए एकता सबसे ज़रूरी है।
भागवत के इन शब्दों को कई लोगों ने शांति और सौहार्द की दिशा में उठाया गया सकारात्मक कदम माना। अब सपा सांसद अफ़ज़ल अंसारी का समर्थन सामने आने से राजनीतिक हलकों में चर्चा और तेज हो गई है।
अफ़ज़ल अंसारी का बयान
अफ़ज़ल अंसारी ने कहा,
“मोहन भागवत का बयान एकदम सटीक है। देश को मज़बूत करने के लिए ज़रूरी है कि हम धार्मिक विवादों में न उलझें। मंदिर-मस्जिद की खुदाई या इतिहास की टोह लेना देश को आगे नहीं ले जाएगा, बल्कि समाज को और बाँट देगा।”
उन्होंने आगे कहा कि संघ प्रमुख ने जो बात कही है, उसका पालन समाज के हर वर्ग को करना चाहिए।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
अफ़ज़ल अंसारी का यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि वे लंबे समय से केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार की नीतियों पर मुखर आलोचक रहे हैं। आरएसएस और भाजपा को निशाने पर लेना उनका सामान्य रुख रहा है। ऐसे में अचानक संघ प्रमुख की प्रशंसा करना राजनीतिक रणनीति के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह का बयान स्थानीय और राष्ट्रीय राजनीति में नए समीकरण पैदा कर सकता है। सपा और आरएसएस की विचारधाराओं के बीच अक्सर टकराव रहा है, लेकिन अफ़ज़ल अंसारी का यह बयान उस धारणा से अलग दिशा दिखाता है।
निष्कर्ष
अफ़ज़ल अंसारी के इस वक्तव्य ने राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। जहां कुछ लोग इसे सकारात्मक और सौहार्दपूर्ण विचार के तौर पर देख रहे हैं, वहीं कई लोग इसे उनकी राजनीतिक रणनीति मान रहे हैं।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के संदेश को लेकर अब यह स्पष्ट हो चुका है कि न केवल संघ परिवार बल्कि विपक्षी खेमे के कुछ नेता भी इसे देश की एकता और भाईचारे के लिए अहम मान रहे हैं। आने वाले दिनों में इस बयान पर प्रतिक्रियाएँ और भी दिलचस्प हो सकती हैं।
