लखनऊ से एक सनसनीखेज़ मामला सामने आया है, जिसमें साइबर ठगों ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर एक सौ वर्षीय बुजुर्ग को छह दिन तक “डिजिटल अरेस्ट” में रखा और उनके 70 वर्षीय बेटे से करीब 1.29 करोड़ रुपये हड़प लिए। यह घटना सरोजनी नगर थाना क्षेत्र की बताई जा रही है और पुलिस ने इसे गंभीर साइबर अपराध मानते हुए जांच शुरू कर दी है।
मामला 20 अगस्त से शुरू हुआ, जब बुजुर्ग हरदेव सिंह के मोबाइल पर एक अज्ञात कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को “आलोक सिंह, सीबीआई” बताकर कहा कि उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है और उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी है। ठगों ने व्हाट्सएप पर एक नकली डिजिटल अरेस्ट/वॉरंट भेजा और उन्हें डराकर पूरी तरह से अपनी निगरानी में रहने को कहा। इस दौरान बुजुर्ग को लगातार फोन और वीडियो कॉल पर व्यस्त रखा गया ताकि वे किसी से संपर्क न कर सकें।
बुजुर्ग के बेटे सुरिंद्र पाल सिंह, जो सेवानिवृत्त मर्चेंट नेवी अधिकारी हैं, को भी ठगों ने झांसे में ले लिया। आरोपियों ने उन्हें विश्वास दिलाया कि अगर वे तुरंत सहयोग नहीं करेंगे तो उनके पिता को गिरफ्तार कर लिया जाएगा और उनकी सारी संपत्ति जब्त हो जाएगी। डर और दबाव के माहौल में सुरिंद्र ने 21 अगस्त से 26 अगस्त के बीच ठगों द्वारा बताए गए अलग-अलग खातों में कई बार ट्रांसफर कर कुल 1.29 करोड़ रुपये जमा कर दिए। कुछ रकम गुजरात और गोवा के बैंक खातों में भेजी गई, जबकि शेष रकम अन्य राज्यों के खातों में ट्रांसफर करवाई गई।
जब धीरे-धीरे सच्चाई सामने आई और पिता-बेटे को समझ आया कि वे ठगी का शिकार हो चुके हैं, तब उन्होंने सरोजनी नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामला दर्ज कर साइबर सेल को भी जांच सौंपी है। शुरुआती जांच में पता चला है कि गिरोह संगठित ढंग से काम करता है और कॉल, व्हाट्सएप वीडियो तथा नकली दस्तावेजों का इस्तेमाल कर लोगों को डराता है।
पुलिस का कहना है कि इस प्रकार की “डिजिटल अरेस्ट” ठगी पहले भी कई शहरों में सामने आ चुकी है। साइबर अपराधी खुद को केंद्रीय एजेंसियों का अधिकारी बताकर आम लोगों को फंसाते हैं और उन्हें डराकर करोड़ों की ठगी कर लेते हैं।
विशेषज्ञों और पुलिस ने नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि किसी भी स्थिति में फोन या व्हाट्सएप पर आए अज्ञात कॉल पर अपनी बैंकिंग जानकारी साझा न करें। यदि किसी तरह का संदिग्ध कॉल आए तो तुरंत उस एजेंसी के आधिकारिक नंबर पर संपर्क करें और जानकारी की पुष्टि करें। साथ ही, यदि कोई ठगी की आशंका हो तो तुरंत बैंक और साइबर सेल से संपर्क कर लेन-देन रोकने की कोशिश करनी चाहिए।
यह मामला न सिर्फ साइबर अपराधियों की नई चाल का उदाहरण है बल्कि समाज के लिए भी एक चेतावनी है कि तकनीक के इस दौर में हर व्यक्ति को जागरूक और सतर्क रहना जरूरी है।
