अवधारणा के बावजूद प्रशासन हुआ बेखबर, हिमाचल में भारी हादसा

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश में मंगलवार शाम एक भीषण हादसा हुआ, जब भारी बारिश और कमजोर पहाड़ी के कारण भूस्खलन हुआ और मलबे की चपेट में एक निजी बस पूरी तरह दब गई। संतोषी ट्रैवल्स की 32-सीटर बस मरोतन से घुमारवीं जा रही थी और लगभग 6:30 बजे झंडूता विधानसभा क्षेत्र के भल्लू पुल के पास शुक्र खड्ड के किनारे भूस्खलन की चपेट में आ गई। मलबे और पत्थरों के गिरने से बस की छत उखड़ गई और खड्ड में गिर गई, जिससे सवारियों पर भारी मलबा गिरा। बस में लगभग 35 लोग सवार थे, जिनमें से अब तक 16 से 18 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई गंभीर रूप से घायल हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन में अब तक दो बच्चियों और एक छोटे बच्चे को सुरक्षित बाहर निकाला गया है, लेकिन कई लोग मलबे में फंसे हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पहाड़ी लंबे समय से कमजोर थी और अवैध माइनिंग के कारण संतुलन बिगड़ गया था। दो दिन पहले भी इस क्षेत्र से मलबा गिर चुका था, लेकिन प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया और न ही चेतावनी जारी की। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 6-7 अक्टूबर को बिलासपुर, मंडी और कांगड़ा जिलों में भारी बारिश और भूस्खलन की चेतावनी दी थी। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि प्रशासन ने इस क्षेत्र को पहले ही “जोखिम क्षेत्र” घोषित कर ट्रैफिक रोक दिया होता, तो यह हादसा टाला जा सकता था।

हादसे पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गहरा शोक व्यक्त किया और राहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री भी घटनास्थल के लिए रवाना हुए। यह हादसा न केवल प्राकृतिक आपदा का परिणाम है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और अवैध माइनिंग जैसी मानवीय गतिविधियों का भी परिणाम माना जा रहा है। प्रदेशवासियों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठते हैं, और मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की जा रही है। यह घटना हिमाचल प्रदेश में बढ़ती भूस्खलन की घटनाओं और प्रशासनिक नाकामी की ओर भी इशारा करती है।

Leave a Comment

और पढ़ें