रेलवे विस्तार को मिली बड़ी रफ्तार: ₹24,634 करोड़ की चार परियोजनाओं से 894 किमी बढ़ेगा रेल नेटवर्क

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

केंद्र सरकार ने देश की रेल अवसंरचना को नई दिशा देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) ने कुल ₹24,634 करोड़ की लागत से चार महत्वपूर्ण रेल मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इन परियोजनाओं के पूरा होने पर भारतीय रेल नेटवर्क में लगभग 894 किलोमीटर की नई पटरियाँ जुड़ेंगी, जिससे रेल सेवाओं की गति, क्षमता और विश्वसनीयता में उल्लेखनीय सुधार होगा।

इन चारों परियोजनाओं में प्रमुख मार्ग शामिल हैं — वर्धा–भुसावल सेक्शन (तीसरी और चौथी लाइन) जिसकी लंबाई 314 किलोमीटर है और यह पूरी तरह महाराष्ट्र में फैला है। दूसरी परियोजना गोंदिया–डोंगरगढ़ (चौथी लाइन) की है, जो 84 किलोमीटर लंबी है और महाराष्ट्र तथा छत्तीसगढ़ राज्यों को जोड़ेगी। तीसरी परियोजना वडोदरा–रतलाम (तीसरी और चौथी लाइन) की है, जिसकी लंबाई 259 किलोमीटर है और यह गुजरात व मध्य प्रदेश के हिस्सों से होकर गुजरेगी। वहीं चौथी परियोजना इटारसी–भोपाल–बीना सेक्शन (चौथी लाइन) की है, जिसकी लंबाई 237 किलोमीटर है। इन चारों परियोजनाओं के माध्यम से महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ के 18 जिलों में रेल नेटवर्क का विस्तार किया जाएगा।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इन परियोजनाओं के पूर्ण होने पर रेलवे की माल-वाहन क्षमता में लगभग 78.4 मिलियन टन प्रतिवर्ष की अतिरिक्त क्षमता जुड़ जाएगी। इससे कोयला, सीमेंट, स्टील, अनाज, कंटेनर और फ्लाई ऐश जैसी वस्तुओं के परिवहन में तेजी आएगी। साथ ही, लॉजिस्टिक्स की लागत कम होने से उद्योगों और व्यापार को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। परियोजनाओं के माध्यम से लगभग 3,600 से अधिक गांवों को जोड़ा जाएगा और लगभग 85 लाख से अधिक लोगों को इसका फायदा मिलेगा।

रेल मंत्रालय ने बताया कि यह निवेश रेलवे नेटवर्क की भीड़भाड़ कम करने, यात्रियों की समयबद्धता सुधारने और मालगाड़ियों की गति बढ़ाने में सहायक होगा। इन परियोजनाओं से औद्योगिक इलाकों, बंदरगाहों और कृषि बाजारों तक रेल संपर्क में सुधार होगा, जिससे क्षेत्रीय विकास को गति मिलेगी। इसके अलावा, निर्माण चरण में हज़ारों लोगों को रोजगार मिलने की संभावना भी जताई गई है।

सरकार ने बताया है कि सभी परियोजनाओं को 2030-31 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। निर्माण से पहले भूमि अधिग्रहण, ठेका प्रक्रिया और तकनीकी मंजूरियों जैसे प्रारंभिक कार्य शुरू किए जा रहे हैं। इन परियोजनाओं के माध्यम से भारतीय रेलवे की नेटवर्क क्षमता को भविष्य की मांगों के अनुरूप सशक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

यह निर्णय भारतीय रेलवे की दीर्घकालिक दृष्टि “विकसित भारत 2047” की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है, जिसके तहत देश को उच्च क्षमता और आधुनिक परिवहन प्रणाली से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। यह मंजूरी न केवल रेलवे के लिए बल्कि देश के आर्थिक विकास और क्षेत्रीय संतुलन के लिए भी मील का पत्थर साबित होगी।

Leave a Comment

और पढ़ें