विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने दिल्ली में आयोजित ‘ट्रस्ट एंड सेफ्टी इंडिया फेस्टिवल 2025’ में भारत की कृत्रिम बुद्धिमत्ता (ए.आई.) के क्षेत्र में बढ़ती भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि इस दिशा में भारत पर विशेष जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि ‘ग्लोबल साउथ’ के देश प्रेरणा के लिए भारत की ओर देखते हैं। डॉ. जयशंकर ने बताया कि पिछले दशक में भारत ने डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के माध्यम से शासन में सुधार, सेवाओं की दक्षता और पारदर्शिता में उल्लेखनीय प्रगति की है। आधार और यूपीआई जैसी पहलों ने न केवल नागरिकों को सशक्त बनाया है, बल्कि अन्य देशों के लिए भी मॉडल प्रस्तुत किया है।
उन्होंने आगे कहा कि भारत की रणनीति तीन स्तरों पर काम कर सकती है: लोकल डिवाइस पर ए.आई. को सक्षम बनाना, डिजिटल सेवाओं का लाभ आम लोगों तक पहुँचाने के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना को मजबूत करना और ए.आई. सेवाओं का वैश्विक निर्यात करना। इस दिशा में फरवरी 2026 में नई दिल्ली में आयोजित होने वाला ‘ए.आई. इम्पैक्ट समिट’ एक महत्वपूर्ण कदम होगा, जिसका उद्देश्य देशों के बीच सहयोग बढ़ाना, भरोसेमंद साझेदारियां स्थापित करना और ए.आई. तकनीक को सभी के लिए सुलभ बनाना है। सम्मेलन विशेष रूप से ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों के लिए ए.आई. अपनाने में मदद करने पर केंद्रित होगा।
जयशंकर ने कहा कि भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और नवाचार क्षमता इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस ए.आई. एक्शन समिट में भारत की भूमिका को रेखांकित किया था और कहा था कि भारत अपनी विविधता और अनुभव के साथ ए.आई. के लिए बड़े मॉडल विकसित कर रहा है, जो ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों के लिए सहायक होगा।
भारत की यह पहल न केवल तकनीकी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक स्तर पर ए.आई. के लिए समावेशी और सुलभ मार्ग प्रशस्त करने में भी मददगार साबित होगी। इससे ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों को लाभ मिलेगा और वैश्विक स्तर पर ए.आई. के विकास में संतुलन और समानता की दिशा में भी प्रगति होगी। अंततः, भारत की यह पहल ए.आई. के क्षेत्र में एक नई दिशा और दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है, जो वैश्विक सहयोग, समावेशन और समानता पर आधारित है और सुनिश्चित करती है कि ए.आई. का विकास और उपयोग सभी के लिए लाभकारी हो।
