राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य में सरकारी इमारतों में हो रहे लगातार हादसों को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार से जवाब मांगा है। हाल ही में जयपुर के एसएमएस अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में लगी भीषण आग में आठ लोगों की मौत हो गई। इस हादसे में कई लापरवाहियां सामने आईं, जिनमें आग लगने के बाद कर्मचारियों का घटनास्थल से भाग जाना, मरीज़ों को बचाने के प्रयासों में देरी, फायर एग्जिट और सुरक्षा उपकरणों की अनुपलब्धता शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने इस घटना पर शोक व्यक्त किया, वहीं राजस्थान सरकार ने जांच के आदेश दिए।
इसी क्रम में झालावाड़ जिले में एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से एक छात्र की जान चली गई। इस घटना के बाद हाईकोर्ट ने राज्यभर के सरकारी स्कूलों में 86,000 से अधिक जर्जर कक्षाओं के उपयोग पर रोक लगा दी और सरकार से इन भवनों की मरम्मत और पुनर्निर्माण की योजना 9 अक्टूबर तक पेश करने का आदेश दिया। वहीं जोधपुर में बनी राजस्थान हाईकोर्ट की नई बिल्डिंग, जिसकी लागत 220 करोड़ रुपये थी, महज तीन साल में ही जर्जर हो गई। यहां भी छत गिरने, प्लास्टर उखड़ने और पानी रिसाव जैसी घटनाएं सामने आई हैं, जिसके चलते निर्माण कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
राजस्थान हाईकोर्ट ने इन घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए सरकार से पूछा कि सरकारी इमारतों के निर्माण और रखरखाव में इतनी लापरवाही क्यों हो रही है। कोर्ट ने बजट आवंटन, खर्च और भविष्य की मरम्मत योजनाओं की पूरी जानकारी 9 अक्टूबर तक पेश करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणियों और आदेशों के माध्यम से स्पष्ट संदेश दिया गया है कि अब किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और सरकारी भवनों की सुरक्षा व गुणवत्ता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सरकार की होगी।
