हरियाणा सरकार ने भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त कदम उठाते हुए 89 नायब तहसीलदारों के तबादले किए हैं। यह निर्णय राज्य के राजस्व विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। पिछले कुछ महीनों में नायब तहसीलदारों और अन्य राजस्व अधिकारियों के खिलाफ कई भ्रष्टाचार के मामले सामने आए हैं, जिनमें सरकारी भूमि की धोखाधड़ी से बिक्री और किसानों के मुआवजे में गड़बड़ी जैसी घटनाएं शामिल हैं।
गुरुग्राम के फर्रुखनगर में भूमि घोटाले के मामले में तीन नायब तहसीलदारों और अन्य अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने चार महीनों में 254 फर्जी रजिस्ट्री कीं। इन रजिस्ट्री में कृषि भूमि को शहरी प्लॉट में बदलने के लिए जाली दस्तावेजों का उपयोग किया गया, जिससे राज्य सरकार को कई करोड़ रुपये का नुकसान होने का खतरा था। वहीं रोहतक के नायब तहसीलदार प्रवीण कुमार को छह महीने से फरार रहने के बाद गिरफ्तार किया गया। उन पर एक लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप था। इसके अलावा, पंजाब के खरड़ में एक नायब तहसीलदार ने 10,365 कनाल सामूहिक भूमि को निजी व्यक्तियों को अवैध रूप से ट्रांसफर किया, जिसके बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया।
इन मामलों को देखते हुए हरियाणा सरकार ने नायब तहसीलदारों के बड़े पैमाने पर तबादले किए हैं। सरकार का कहना है कि यह कदम विभागीय सुधार और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए उठाया गया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने स्पष्ट किया कि राज्य में भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है और ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके अतिरिक्त, राजस्व विभाग के अन्य अधिकारियों की भी जांच शुरू की गई है, जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, जिनमें पटवारियों, कानूनगो और ऑडिटर्स के नाम शामिल हैं।
हरियाणा सरकार का यह कदम भ्रष्टाचार के खिलाफ उसकी जीरो टॉलरेंस नीति को स्पष्ट करता है और राजस्व विभाग में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। हालांकि, इन तबादलों से भ्रष्टाचार की समस्या पूरी तरह समाप्त नहीं होगी, लेकिन यह निश्चित रूप से एक सकारात्मक शुरुआत है। सरकार को इस प्रक्रिया को निरंतर जारी रखना चाहिए और भ्रष्टाचार के मामलों की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करनी चाहिए। साथ ही, राज्य के नागरिकों को भी इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए, क्योंकि केवल सरकारी प्रयासों से ही भ्रष्टाचार पर काबू पाना संभव नहीं है, इसके लिए समाज के हर वर्ग की भागीदारी आवश्यक है।
