फलस्तीन मुद्दे पर सरकार की चुप्पी को लेकर सोनिया गांधी का हमला

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर फलस्तीन संकट के मुद्दे पर चुप्पी साधने का आरोप लगाते हुए कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि जब दुनिया गंभीर मानवीय संकट का सामना कर रही है, तब भारत जैसी लोकतांत्रिक परंपराओं वाला देश खामोश नहीं रह सकता। सोनिया ने इस चुप्पी को “मानवता और नैतिकता का परित्याग” बताते हुए कहा कि सरकार को स्पष्ट और संतुलित रुख अपनाना चाहिए था।

सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के रिश्तों का उल्लेख करते हुए यह भी तंज कसा कि विदेश नीति को व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर नहीं चलाया जा सकता। उनके अनुसार, इस तरह की नीति लंबे समय में देशहित को नुकसान पहुंचा सकती है और भारत की अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर सकती है।

उन्होंने कहा कि यह सिर्फ कूटनीतिक दायित्व का प्रश्न नहीं है बल्कि भारत की परंपरागत विदेश नीति और मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा मुद्दा है। भारत ने हमेशा दो-राष्ट्र समाधान का समर्थन किया है और वैश्विक स्तर पर मानवाधिकार व लोकतांत्रिक सिद्धांतों को मजबूती से रखा है। ऐसे में सरकार की चुप्पी उन मूल्यों से विचलन के रूप में देखी जा रही है।

कांग्रेस ने बार-बार सरकार से अपील की है कि भारत इस मसले पर निर्णायक पहल करे, संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर शांति बहाल करने की दिशा में काम करे और मानवीय सहायता के लिए ठोस कदम उठाए। पार्टी का कहना है कि भारत की ऐतिहासिक भूमिका मध्यस्थता और शांति स्थापित करने की रही है, इसलिए सरकार को उस परंपरा का निर्वाह करना चाहिए।

सोनिया गांधी के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में बहस तेज हो गई है। विपक्ष लगातार सरकार पर सवाल उठा रहा है, जबकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा न सिर्फ भारत की विदेश नीति बल्कि घरेलू राजनीति और आने वाले चुनावी विमर्श में भी अहम भूमिका निभा सकता है।

Leave a Comment

और पढ़ें