उद्योगपति अनिल अंबानी और यस बैंक (Yes Bank) के पूर्व सीईओ राणा कपूर की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने दोनों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए मुंबई की विशेष अदालत में दो मामलों में आरोपपत्र (चार्जशीट) दाखिल किया है। जांच एजेंसी का कहना है कि इन मामलों में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएँ हुईं, जिससे यस बैंक को लगभग ₹2,796.77 करोड़ का नुकसान हुआ।
सीबीआई के अनुसार, अनिल अंबानी समूह (ADA Group) की दो कंपनियों — रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL) और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) — को यस बैंक की ओर से भारी फंड उपलब्ध कराए गए, जबकि ये कंपनियाँ पहले से ही कमजोर वित्तीय स्थिति में थीं। आरोप है कि उस समय बैंक का प्रबंधन, जिसमें राणा कपूर और उनके करीबी सहयोगी शामिल थे, ने अपने पद का दुरुपयोग कर इन कंपनियों को फायदा पहुँचाया और बदले में कपूर परिवार से जुड़ी कंपनियों को रियायती ऋण व अन्य वित्तीय लाभ दिए।
सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में न केवल अनिल अंबानी और राणा कपूर का नाम शामिल किया है, बल्कि राणा कपूर की पत्नी बिंदु कपूर और उनकी बेटियों को भी आरोपी बनाया है। इसके साथ ही ADA ग्रुप से जुड़ी कई कंपनियों और यस बैंक के कुछ अधिकारियों को भी आरोपपत्र में शामिल किया गया है। एजेंसी का कहना है कि इस पूरी प्रक्रिया में शेल कंपनियों और जटिल लेन-देन का इस्तेमाल कर फंड को निजी हितों में मोड़ा गया।
यह मामला वर्ष 2022 में तब सामने आया जब यस बैंक के मुख्य सतर्कता अधिकारी (CVO) ने लेन-देन में अनियमितताओं की शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के आधार पर सीबीआई ने दो एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की थी। लंबी जांच के बाद अब एजेंसी ने आरोपपत्र दाखिल किया है, जिसमें भारतीय दंड संहिता (IPC) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं।
राणा कपूर पहले भी कई मामलों में जांच एजेंसियों के घेरे में रह चुके हैं। वर्ष 2020 में जब यस बैंक पर संकट गहराया था, तब उन पर आरोप लगे कि उन्होंने बैंक की पूंजी और जमा धनराशि को जोखिम भरे निवेशों में लगाया और निजी लाभ के लिए कॉर्पोरेट समूहों को ऋण दिए। उस समय स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को हस्तक्षेप करना पड़ा और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) समेत कई बड़े बैंकों को मिलकर यस बैंक के पुनर्गठन में भाग लेना पड़ा।
दूसरी ओर, अनिल अंबानी का समूह (ADA Group) पहले से ही वित्तीय संकट और कर्ज़ के दबाव से जूझ रहा है। उनकी कई कंपनियाँ दिवालिया प्रक्रिया (Insolvency) से गुजर चुकी हैं। ऐसे में सीबीआई की यह चार्जशीट समूह पर और अधिक कानूनी दबाव डाल सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला भारतीय बैंकिंग सेक्टर के लिए एक बड़ा सबक है। यदि अदालत में आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो यह न केवल संबंधित आरोपियों के लिए गंभीर परिणाम लाएगा, बल्कि बैंकिंग गवर्नेंस और आंतरिक नियंत्रण तंत्र पर भी सवाल खड़े करेगा। अदालत में अब आरोपपत्र पर सुनवाई होगी और यह तय किया जाएगा कि किन धाराओं में आरोप तय किए जाएँ।
फिलहाल, सीबीआई की चार्जशीट ने बैंकिंग और कॉर्पोरेट जगत में हलचल मचा दी है। आने वाले महीनों में अदालत के रुख पर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी, क्योंकि यही तय करेगा कि क्या वाकई अनिल अंबानी और राणा कपूर ने बैंकिंग नियमों को ताक पर रखकर निजी हित साधे थे या नहीं।
