काठमांडू, 10 सितंबर 2025 – नेपाल में हालिया हिंसक प्रदर्शन और युवा नेतृत्व वाले आंदोलन के पीछे प्रमुख चेहरा सुदान गुरुङ हैं। वे “हमि नेपाल” (Hami Nepal) नामक गैर-सरकारी संगठन के अध्यक्ष हैं, जिसने भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता के खिलाफ युवाओं को संगठित किया। सुदान गुरुङ की रणनीतियों ने आंदोलन को इतना प्रभावशाली बनाया कि नेपाल सरकार को अंततः झुकना पड़ा।
सुदान गुरुङ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे इंस्टाग्राम और डिस्कॉर्ड के माध्यम से युवाओं को एकजुट किया। उनके नेतृत्व में युवा बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे और शांतिपूर्ण प्रदर्शन के साथ-साथ बड़े शहरों में काठमांडू, पोखरा और भक्तपुर में सरकार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। उन्होंने युवाओं को भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर केंद्रित किया और आंदोलन को संगठित रखा।
प्रदर्शन की मांगें स्पष्ट थीं—भ्रष्टाचार पर रोक, बेरोजगारी के समाधान और सामाजिक असमानता को कम करना। सुदान गुरुङ ने आंदोलन को नियंत्रित रखा और युवाओं के जज्बे को सही दिशा दी। उनके नेतृत्व और रणनीतियों के प्रभाव से सरकार दबाव में आ गई। प्रदर्शनकारियों के लगातार दबाव और देशव्यापी समर्थन के कारण प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया और कई मंत्रियों ने भी अपने पद छोड़ दिए।
विशेषज्ञों का कहना है कि सुदान गुरुङ ने यह साबित कर दिया कि नेपाल के युवा संगठित और सक्रिय हैं और उनका नेतृत्व राजनीतिक और सामाजिक बदलाव लाने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। सुदान गुरुङ अब नेपाल में युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुके हैं और आने वाले समय में उनके नेतृत्व वाली गतिविधियों पर पूरी दुनिया की नजर बनी रहेगी।
यह आंदोलन केवल तत्काल राजनीतिक बदलाव तक सीमित नहीं है, बल्कि नेपाल में युवा नेतृत्व और सामाजिक जागरूकता के नए युग की शुरुआत भी माना जा रहा है।
रणनीति और तरीका
युवाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एकजुट करना: सुदान गुरुङ ने इंस्टाग्राम, डिस्कॉर्ड और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया। उन्होंने युवा वर्ग को जागरूक किया और आंदोलन की योजना साझा की। सोशल मीडिया ने आंदोलन को तेज़ी और व्यापकता दी।
शांतिपूर्ण प्रदर्शन को प्रभावी बनाना: गुरुङ ने युवाओं को हिंसा से दूर रहते हुए बड़ी संख्या में सड़क पर उतरने के लिए प्रेरित किया। उनका लक्ष्य स्पष्ट था— सरकार को दबाव में लाना लेकिन कानून का उल्लंघन नहीं करना।
सामाजिक मुद्दों पर फोकस: आंदोलन की मांगें भ्रष्टाचार पर रोक, बेरोजगारी के समाधान, आर्थिक असमानता को कम करना और युवाओं के लिए अवसर बढ़ाना थीं। ये मुद्दे लोगों के लिए सीधे महसूस होने वाले थे, इसलिए समर्थन तेजी से बढ़ा।
संगठित और रणनीतिक दबाव: गुरुङ ने प्रदर्शन को अलग-अलग शहरों में फैलाया, जिससे सरकार पर लगातार दबाव बना रहा। काठमांडू, पोखरा और भक्तपुर जैसे शहरों में लगातार विरोध प्रदर्शन और सभा आयोजित की गई।
जन समर्थन और मीडिया: गुरुङ ने मीडिया और जन समर्थन का सही उपयोग किया। उन्होंने आंदोलन की छवि सकारात्मक रखी और लोगों को प्रेरित किया। इसका असर यह हुआ कि सरकार का हर कदम निगरानी में था और जनता लगातार प्रदर्शन से जुड़ी रही।
सुदान गुरुङ की रणनीतियों और नेतृत्व के कारण प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया। कई मंत्रियों ने भी अपने पद छोड़ दिए। विशेषज्ञों का कहना है कि यह आंदोलन युवाओं की शक्ति और संगठित नेतृत्व की स्पष्ट उदाहरण है। सुदान गुरुङ ने नेपाल में यह साबित कर दिया कि युवा नेतृत्व और डिजिटल प्लेटफॉर्म का सही इस्तेमाल करके राजनीतिक और सामाजिक बदलाव लाया जा सकता है। उनका आंदोलन केवल तत्काल राजनीतिक बदलाव तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नेपाल में युवा नेतृत्व और सामाजिक जागरूकता के नए युग की शुरुआत भी साबित हुआ है।
