ट्रेड वार्ता में नई जान: भारत-यूएस ने मिलकर जताई बेमिसाल उम्मीदें।

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भारत और अमेरिका के बीच ठंडी पड़ी व्यापार वार्ता अब एक बार फिर से पटरी पर लौट आई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकेत दिया है कि आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच वार्ता तेज़ होगी और सकारात्मक नतीजों की उम्मीद की जा रही है। ट्रंप ने सोमवार को कहा कि अमेरिका और भारत “व्यापारिक बाधाओं को कम करने” के लिए लगातार बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे जल्द ही प्रधानमंत्री मोदी से सीधे संपर्क करेंगे। ट्रंप ने मोदी को अपना “अच्छा दोस्त” बताते हुए भरोसा जताया कि बातचीत से एक सफल परिणाम ज़रूर निकलेगा।
पीएम मोदी की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए आज (10 सितंबर) कहा कि भारत और अमेरिका “प्राकृतिक साझेदार” हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि दोनों देशों के बीच साझेदारी “असीम संभावनाओं” से भरी हुई है और व्यापार वार्ता से इसका नया द्वार खुलेगा। मोदी ने यह भी बताया कि दोनों देशों की टीमें पूरी गंभीरता से बातचीत कर रही हैं और वे खुद भी ट्रंप से जल्द ही बातचीत करने वाले हैं।

आर्थिक मोर्चे पर असर

ट्रंप-मोदी के इस ऐलान का सीधा असर भारतीय शेयर बाज़ार पर भी दिखा। मंगलवार सुबह सेंसेक्स और निफ्टी में तेजी दर्ज की गई। निवेशकों का मानना है कि अगर भारत-अमेरिका के बीच व्यापार करार में प्रगति होती है, तो इसका फायदा आईटी, फार्मा और निर्यात क्षेत्र को मिलेगा। पिछले कई महीनों से दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता ठहरी हुई थी। अमेरिका ने स्टील और एल्यूमिनियम पर शुल्क लगाए थे, वहीं भारत ने कुछ अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी टैक्स बढ़ा दिए थे। इस वजह से रिश्तों में खटास आई थी। लेकिन अब एक बार फिर से बातचीत का नया दौर शुरू होने जा रहा है, जिसे लेकर दोनों पक्ष बेहद आशावादी हैं।

भारत के लिए क्या फायदे?

अमेरिका फिलहाल भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाज़ार है। ऐसे में यदि व्यापार वार्ता आगे बढ़ती है, तो भारतीय अर्थव्यवस्था को कई स्तरों पर लाभ मिल सकता है।

  • आईटी सेक्टर को अमेरिकी कंपनियों से ज्यादा काम और निवेश मिलने की संभावना है।

  • फार्मा और दवा उद्योग के लिए अमेरिकी बाजार में और मौके खुल सकते हैं।

  • कपड़ा और कृषि उत्पादों की मांग बढ़ सकती है, जिससे भारतीय किसानों और छोटे उद्योगों को सीधा फायदा होगा।

  • साथ ही, भारतीय स्टार्टअप और टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए निवेश और साझेदारी के नए दरवाज़े खुल सकते हैं।

अमेरिका को क्या मिलेगा?

भारत की 140 करोड़ से ज्यादा आबादी और मज़बूत उपभोक्ता आधार अमेरिकी कंपनियों के लिए एक बड़े अवसर के रूप में देखा जा रहा है।

  • अमेरिकी मल्टीनेशनल कंपनियों को भारत में अपने उत्पाद और सेवाओं के लिए विशाल बाज़ार मिलेगा।

  • रक्षा और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ने से अमेरिका की पकड़ और मजबूत हो सकती है।

  • इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत को एक मजबूत रणनीतिक साथी बनाने का अवसर मिलेगा, जो चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने में मददगार साबित हो सकता है।

विशेषज्ञों की राय

अंतरराष्ट्रीय संबंध विशेषज्ञों का मानना है कि यह वार्ता केवल “व्यापार” तक सीमित नहीं है। इसका असर रणनीतिक रिश्तों, रक्षा सहयोग, और तकनीकी नवाचारों पर भी पड़ेगा। अमेरिका-चीन तनाव के बीच भारत को अमेरिका का बड़ा सहयोगी बनने का मौका मिल सकता है।

आगे क्या?

सूत्रों के मुताबिक, जल्द ही दोनों देशों की उच्च स्तरीय टीमें छठे दौर की व्यापारिक वार्ता के लिए मिलेंगी। इसमें टैरिफ, मार्केट एक्सेस, डिजिटल ट्रेड और ई-कॉमर्स जैसे मुद्दे मुख्य रहेंगे।

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