पीएम मोदी नहीं जाएंगे संयुक्त राष्ट्र महासभा, विदेश मंत्री जयशंकर करेंगे भारत का प्रतिनिधित्व

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नई दिल्ली। इस साल सितंबर में न्यूयॉर्क में होने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिरकत नहीं करेंगे। भारत का प्रतिनिधित्व इस बार विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर करेंगे और वे 27 सितंबर को भारत की ओर से भाषण देंगे।

पीएम मोदी का नाम प्रारंभिक सूची में शामिल था

अगस्त 2025 में संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी प्रारंभिक वक्ताओं की सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम शामिल था। उस सूची के अनुसार मोदी 26 सितंबर को “हेड ऑफ गवर्नमेंट” के रूप में भारत का राष्ट्रीय वक्तव्य (national statement) प्रस्तुत करने वाले थे। उस समय यह भी चर्चा थी कि उनकी अमेरिका यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात हो सकती है। यह मुलाकात भारत-अमेरिका के बीच चल रहे व्यापारिक तनावों के बीच काफी अहम मानी जा रही थी।

संशोधित सूची में हुआ बदलाव

अब संयुक्त राष्ट्र की संशोधित सूची में प्रधानमंत्री मोदी का नाम हटा दिया गया है और उनकी जगह विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर का नाम शामिल किया गया है। जयशंकर 27 सितंबर को महासभा को संबोधित करेंगे। यह बदलाव औपचारिक रूप से सूची में दर्ज कर लिया गया है और इसकी पुष्टि अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों और प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) द्वारा भी की गई है।

आधिकारिक पुष्टि का इंतजार

विदेश मंत्रालय (MEA) ने अभी तक पीएम मोदी की गैर-भागीदारी पर कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया है। हालांकि, मीडिया रिपोर्टों में इसे भारत के “सबसे व्यस्त कूटनीतिक समय” से जोड़ा जा रहा है। इस अवधि में भारत की कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकें निर्धारित हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसी परिस्थितियों में कई बार वक्ताओं की सूची में बदलाव सामान्य बात होती है।

संभावित कारण और कूटनीतिक पृष्ठभूमि

कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह बदलाव केवल यात्रा-समयतालिका और कूटनीतिक प्राथमिकताओं के कारण हुआ है, जबकि कुछ रिपोर्टों ने भारत-अमेरिका के बीच हालिया व्यापारिक तनावों और ट्रम्प प्रशासन द्वारा लगाए गए ऊँचे टैरिफ का भी उल्लेख किया है। हालांकि, किसी एक कारण को निश्चित रूप से जिम्मेदार नहीं बताया गया है।

इस सत्र का महत्व

संयुक्त राष्ट्र महासभा का यह 80वां सत्र ऐतिहासिक महत्व का है क्योंकि यह संगठन की 80वीं वर्षगांठ का प्रतीक है। इस बार सत्र का विषय रखा गया है — “Better Together: 80 Years and More for Peace, Development and Human Rights”। इसके तहत जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, डिजिटल गवर्नेंस, महिला सशक्तिकरण और वैश्विक सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा होगी। ऐसे में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री जयशंकर करेंगे, जिनकी विदेश नीति पर स्पष्ट और मुखर छवि है।

निष्कर्ष

इस बदलाव से स्पष्ट है कि भारत का शीर्ष प्रतिनिधित्व इस बार प्रधानमंत्री मोदी नहीं बल्कि विदेश मंत्री जयशंकर करेंगे। वैश्विक मंच पर भारत का दृष्टिकोण और रणनीति जयशंकर के भाषण के माध्यम से सामने आएगी। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी होंगी कि भारत इस सत्र में अपने राष्ट्रीय हितों और वैश्विक मुद्दों को किस तरह रखता है।

 

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