पंजाब इन दिनों भयंकर बाढ़ की चपेट में है। पिछले दो दिनों में हुई भारी बारिश और ऊपरी इलाकों (हिमाचल व जम्मू-कश्मीर) में मूसलाधार बरसात से नदियों का जलस्तर खतरनाक स्तर तक पहुँच गया। सतलुज, ब्यास और रावी जैसी नदियाँ उफान पर हैं। इसके अलावा कुछ डैम से पानी छोड़े जाने के बाद हालात और गंभीर हो गए। अचानक आई बाढ़ से कई गाँव जलमग्न हो गए और हज़ारों परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करना पड़ा।
नुकसान और प्रभावित क्षेत्र
सरकारी व मीडिया रिपोर्टों के अनुसार अब तक लगभग 1,400 गाँव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। सबसे ज़्यादा असर गुरदासपुर, पठानकोट, फाज़िल्का, कपूरथला, तरनतारन, फिरोज़पुर, होशियारपुर और अमृतसर जिलों में देखने को मिला है।
करीब 4.5 लाख लोग इस आपदा से सीधे प्रभावित हुए हैं। लाखों हेक्टेयर कृषि भूमि बाढ़ की चपेट में आने से धान और सब्ज़ियों जैसी प्रमुख फसलें नष्ट हो गई हैं। पशुधन की हानि और मशीनरी के नुकसान से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगने की आशंका है।
मौतें और राहत कार्य
अब तक 37 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। कई लोग घायल हुए हैं और कुछ लापता भी बताए जा रहे हैं। राहत व बचाव कार्यों में NDRF, SDRF, पुलिस और सेना की टीमें लगी हुई हैं। नावों और ड्रोन की मदद से लोगों को सुरक्षित निकाला जा रहा है। हज़ारों लोग अस्थायी राहत शिविरों, स्कूलों और कॉलेज भवनों में शरण लिए हुए हैं। प्रशासन भोजन, पीने का पानी, दवाइयाँ और कंबल उपलब्ध करा रहा है।
सरकार की पहल
राज्य सरकार ने कई जिलों को आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित कर दिया है और केंद्र से मदद की माँग की है। मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने प्रभावित इलाकों का दौरा किया है। प्रशासन ने संवेदनशील क्षेत्रों में स्कूल-कॉलेज बंद करने का आदेश दिया है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है।
आगे की चुनौतियाँ
विशेषज्ञों का मानना है कि बाढ़ का असर लंबे समय तक रह सकता है। खेतों में खड़ा पानी फसल और मिट्टी दोनों को नुकसान पहुँचा सकता है। साथ ही संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। पेयजल और स्वच्छता की समस्या भी बड़ी चुनौती है। प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने और केवल पैकेज्ड या उबला हुआ पानी पीने की सलाह दी है।
निष्कर्ष
पंजाब की यह बाढ़ केवल प्राकृतिक आपदा नहीं बल्कि प्रशासनिक और संरचनात्मक चुनौतियों का भी परिणाम है। लगातार बारिश, डैम से छोड़ा गया पानी और नदी प्रबंधन की कमी ने मिलकर हालात बिगाड़ दिए हैं। आने वाले दिनों में राहत और पुनर्वास कार्यों की गति और सरकार की नीतियाँ ही यह तय करेंगी कि प्रभावित लोग कितनी जल्दी सामान्य जीवन में लौट पाते हैं।
