नई दिल्ली, 3 सितंबर 2025 — देशभर के उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी खबर सामने आ सकती है। नई दिल्ली में आयोजित जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में टैक्स ढांचे को सरल बनाने और आम जनता को राहत देने पर गहन मंथन चल रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन की अध्यक्षता में हो रही इस बैठक में केंद्र और सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल हैं। दो दिन चलने वाली यह बैठक 3 सितंबर से शुरू हुई है और 4 सितंबर को इसका अंतिम फैसला घोषित होने की संभावना है।
बैठक का मुख्य एजेंडा मौजूदा चार स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) को घटाकर केवल दो स्लैब (5% और 18%) में समेटने का है। इसका उद्देश्य जीएसटी प्रणाली को सरल बनाना और उपभोक्ताओं के बोझ को कम करना है। अगर यह प्रस्ताव लागू होता है तो रोज़मर्रा की कई वस्तुएँ और उपभोक्ता सामान सस्ते हो सकते हैं। बिस्किट, चिप्स और अन्य पैक्ड स्नैक्स, जिन पर अभी 12% जीएसटी लगता है, उन्हें 5% स्लैब में लाने की चर्चा है। इसी तरह टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन और एयर कंडीशनर जैसे कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, जो अभी 28% टैक्स के अंतर्गत आते हैं, उन्हें घटाकर 18% में लाने की संभावना है।
ऑटोमोबाइल सेक्टर में भी उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है। छोटी कारें और कुछ दोपहिया वाहन वर्तमान में 28% स्लैब में आते हैं, जिन्हें घटाकर 18% में रखा जा सकता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इससे वाहनों की ऑन-रोड कीमतों में 6 से 8 प्रतिशत तक की गिरावट हो सकती है, जिससे त्योहारी सीज़न में बिक्री तेज़ हो सकती है।
हालाँकि, सरकार राजस्व संतुलन बनाए रखने के लिए लक्ज़री और सिन उत्पादों पर टैक्स दरें बढ़ाने पर भी विचार कर रही है। महंगी कारें, प्रीमियम स्मार्टफोन, हाई-एंड इलेक्ट्रॉनिक्स, इम्पोर्टेड शराब और तंबाकू उत्पादों पर टैक्स बढ़ाकर 40% तक किया जा सकता है। इसका असर मुख्यतः उच्च आय वर्ग के उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।
आर्थिक दृष्टिकोण से यह कदम दोहरी दिशा में असर डाल सकता है। एक ओर उपभोक्ताओं को सस्ती वस्तुएँ मिलने से उनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी और त्योहारों से पहले बाज़ार में मांग में उछाल आएगा। वहीं दूसरी ओर, कर संग्रह घटने से केंद्र और राज्यों के राजस्व पर दबाव पड़ सकता है। कई राज्य पहले ही इस चिंता को व्यक्त कर चुके हैं और उन्होंने केंद्र से क्षतिपूर्ति पैकेज की मांग की है।
विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी दरों में यह बदलाव उद्योग जगत के लिए बड़ा अवसर साबित होगा। एफएमसीजी, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल सेक्टर की कंपनियाँ बिक्री बढ़ने की उम्मीद कर रही हैं। वहीं अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इस तरह के कदम से उपभोक्ता मांग तो बढ़ेगी, लेकिन राजकोषीय घाटा भी नियंत्रित रखना होगा।
कुल मिलाकर, जीएसटी काउंसिल की यह बैठक आम जनता के लिए बड़ी राहत लेकर आ सकती है। अगर प्रस्तावित बदलाव लागू होते हैं तो बिस्किट और चिप्स से लेकर टीवी-फ्रिज और छोटी कारें तक सस्ती होंगी, जबकि लक्ज़री वस्तुओं और तंबाकू जैसे उत्पाद महंगे हो सकते हैं। परिषद का अंतिम निर्णय 4 सितंबर को घोषित होगा, जिसके बाद इसका असर बाज़ार और उपभोक्ताओं पर तुरंत दिखाई देने लगेगा।













