रूस ने भारत को ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में बड़ा तोहफा देने का संकेत दिया है। एक ओर वह भारत को कच्चे तेल पर पहले से भी ज्यादा छूट देने की तैयारी कर रहा है, वहीं दूसरी ओर एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की सप्लाई बढ़ाने पर भी सहमति जताई गई है। यह कदम ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने का दबाव बढ़ा दिया है।
तेल पर बढ़ी रियायत
रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस भारत को यूरल क्रूड पर ब्रेंट के मुकाबले अब 3–4 डॉलर प्रति बैरल की छूट दे रहा है। पहले यह छूट कम थी, लेकिन हाल ही में इसे और बढ़ा दिया गया है। इससे भारतीय रिफाइनरियों को सीधे फायदा होगा और ईंधन की घरेलू कीमतों पर भी राहत मिल सकती है। ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से यह भारत के लिए अहम है, क्योंकि बढ़ते आयात बिल के बीच सस्ता कच्चा तेल घरेलू अर्थव्यवस्था को सहारा दे सकता है।
एस-400 सप्लाई पर नई पहल
रक्षा सहयोग के मोर्चे पर भी रूस ने भारत को आश्वस्त किया है। रूसी अधिकारियों ने बताया कि एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की अतिरिक्त खेपों पर दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही है। 2018 में भारत ने लगभग 5.5 अरब डॉलर में पांच यूनिट्स खरीदने का समझौता किया था, जिनमें से कुछ की सप्लाई हो चुकी है और बाकी की डिलीवरी 2026-27 तक पूरी होनी है। अब संभावना जताई जा रही है कि रूस सप्लाई बढ़ाकर डिलीवरी शेड्यूल को तेज कर सकता है।
अमेरिका का दबाव और भारत की रणनीति
अमेरिका ने हाल ही में रूस से तेल आयात पर भारत को निशाना बनाते हुए टैरिफ बढ़ाए हैं। वॉशिंगटन का मकसद था कि भारत रूस से दूरी बनाए, लेकिन रूसी छूट और रक्षा सहयोग की वजह से भारत और रूस के रिश्ते और मजबूत होते दिखाई दे रहे हैं। भारत के लिए यह संतुलन साधना आसान नहीं होगा, क्योंकि अमेरिका उसका बड़ा व्यापारिक और सामरिक साझेदार भी है।
भारत के लिए फायदे और चुनौतियाँ
फायदे: सस्ते तेल से आयात बिल घटेगा, महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलेगी और पेट्रोलियम उत्पादों की लागत कम होगी।
चुनौतियाँ: अमेरिका की कड़ी प्रतिक्रिया से व्यापार और तकनीकी सहयोग प्रभावित हो सकता है। साथ ही, रक्षा उपकरणों की समय पर सप्लाई और उस पर निर्भरता भी भारत के लिए चुनौती बनी रहेगी।
निष्कर्ष
रूस का यह कदम केवल ऊर्जा और रक्षा सहयोग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच गहरी रणनीतिक साझेदारी का संकेत भी देता है। आने वाले महीनों में यह देखना अहम होगा कि भारत किस तरह से अमेरिका के दबाव और रूस के सहयोग के बीच संतुलन साधता है।
