भारत ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक और ऐतिहासिक कदम बढ़ाते हुए अपना पहला स्वदेशी 32-बिट स्पेस प्रोसेसर ‘विक्रम 3201’ लॉन्च किया है। इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला (SCL), चंडीगढ़ ने डिजाइन और विकसित किया है। यह चिप पूरी तरह से भारत में निर्मित है और इसे विशेष रूप से रॉकेट तथा सैटेलाइट मिशनों के लिए तैयार किया गया है।
PSLV-C60 मिशन में सफल परीक्षण
इस प्रोसेसर को हाल ही में लॉन्च हुए PSLV-C60 मिशन में वास्तविक अंतरिक्ष परिस्थितियों में परखा गया और यह पूरी तरह सफल साबित हुआ। इस तरह अब भारत के पास लॉन्च-वीकल और उपग्रहों में उपयोग के लिए अपनी खुद की उच्च-स्तरीय स्पेस चिप उपलब्ध है।
तकनीकी विशेषताएँ
‘विक्रम 3201’ एक 32-बिट जनरल पर्पस प्रोसेसर है, जो फ्लोटिंग-पॉइंट ऑपरेशन जैसी उन्नत क्षमताओं से लैस है। यह उन सभी जटिल गणनाओं और नेविगेशन सिस्टम को संभालने में सक्षम है, जिनकी आवश्यकता रॉकेट और सैटेलाइट मिशनों में होती है।
इसे 180 नैनोमीटर CMOS तकनीक पर SCL की स्वदेशी फ़ैब यूनिट में बनाया गया है।
यह उच्च तापमान, रेडिएशन और अंतरिक्ष में उत्पन्न होने वाले कठोर वातावरण में काम करने के लिए क्वालिफाई किया गया है।
यह प्रोसेसर पहले इस्तेमाल किए गए ‘विक्रम 1601’ (16-बिट प्रोसेसर) का उन्नत और शक्तिशाली संस्करण है।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
अब तक भारत को स्पेस-ग्रेड प्रोसेसर के लिए अन्य देशों पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन विक्रम 3201 के लॉन्च से यह निर्भरता खत्म होगी। इससे न केवल लागत में कमी आएगी, बल्कि देश की सप्लाई चेन सुरक्षा भी मजबूत होगी।
भविष्य में उपयोग
विशेषज्ञों के अनुसार यह चिप आने वाले समय में भारत के सभी लॉन्च-वीकल्स, छोटे और बड़े सैटेलाइट मिशनों, तथा विभिन्न ऑन-बोर्ड कंट्रोल और नेविगेशन सिस्टम में प्रयोग होगी। इसके साथ ही यह घरेलू सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम के लिए भी एक मजबूत आधार तैयार करेगी।
सरकारी मान्यता और सराहना
हाल ही में आयोजित Semicon India 2025 कार्यक्रम में इस चिप को प्रदर्शित किया गया, जहां इसे भारत की तकनीकी क्षमता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बताया गया। सरकारी स्तर पर भी इसे देश की एक बड़ी उपलब्धि माना गया है।
निष्कर्ष
‘विक्रम 3201’ सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह भारत की अंतरिक्ष और सेमीकंडक्टर तकनीक में आत्मनिर्भरता की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। PSLV-C60 में सफल परीक्षण के बाद अब यह प्रोसेसर भविष्य के रॉकेट और सैटेलाइट मिशनों को और मजबूत बनाएगा और भारत को वैश्विक स्तर पर स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नई पहचान दिलाएगा।
