पीएम मोदी और शी जिनपिंग की अहम मुलाकात: टैरिफ वॉर के बीच 10 महीने बाद हुई द्विपक्षीय वार्ता

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तियान्ज़िन, 31 अगस्त — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान रविवार को हुई द्विपक्षीय बैठक को दोनों देशों के रिश्तों में एक नए अध्याय की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। लगभग दस महीने के अंतराल के बाद दोनों नेताओं की आमने-सामने बातचीत ने कूटनीतिक हलकों में विशेष महत्व अर्जित किया है।

बैठक का महत्व

यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब वैश्विक व्यापारिक माहौल अस्थिर है और कई देशों के बीच टैरिफ वॉर की स्थिति बनी हुई है। एशिया-प्रशांत क्षेत्र पर इसका सीधा असर देखा जा रहा है। ऐसे परिदृश्य में भारत और चीन, दोनों के लिए आवश्यक हो गया है कि वे आपसी सहयोग बढ़ाकर न केवल अपने द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करें बल्कि क्षेत्रीय आर्थिक स्थिरता में भी योगदान दें।

बातचीत के मुख्य बिंदु

बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग ने कई अहम मुद्दों पर चर्चा की। इनमें सीमा स्थिरता, द्विपक्षीय व्यापार, निवेश, आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) की मजबूती, और क्षेत्रीय सुरक्षा शामिल रहे। मोदी ने खासतौर पर आतंकवाद से निपटने में सामूहिक प्रयास की आवश्यकता पर जोर दिया, वहीं जिनपिंग ने कनेक्टिविटी और दीर्घकालिक साझेदारी की दिशा में सहयोग बढ़ाने का संकेत दिया।

टैरिफ वॉर की पृष्ठभूमि

हाल के महीनों में अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती टैरिफ नीतियों ने अंतरराष्ट्रीय बाजार पर गहरा प्रभाव डाला है। इसकी वजह से भारत समेत कई विकासशील देशों की सप्लाई चेन पर दबाव बढ़ा है। इसी कारण, भारत-चीन वार्ता में आर्थिक सहयोग और व्यापार में स्थिरता लाने पर विशेष बल दिया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि दोनों देश मिलकर नई रणनीति तैयार करते हैं तो वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं से निपटना आसान होगा।

कूटनीतिक संकेत

यह बैठक संकेत देती है कि दोनों देश रिश्तों में नई ऊर्जा भरने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर पर कई मुलाकातें हो चुकी हैं, जिनसे माहौल को सकारात्मक दिशा देने की भूमिका बनी। सीमावर्ती तनाव के बावजूद यह पहल दर्शाती है कि दोनों देश संवाद और सहयोग की राह पर आगे बढ़ना चाहते हैं।

आर्थिक साझेदारी पर चर्चा

सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में इंफ्रास्ट्रक्चर, तकनीकी सहयोग और निवेश से जुड़े विषयों पर भी विमर्श हुआ। भारत और चीन दोनों ही बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ हैं और इनके बीच सहयोग बढ़ने से न केवल द्विपक्षीय व्यापार को मजबूती मिलेगी बल्कि एशियाई बाजारों में भी स्थिरता आएगी।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों ने इस मुलाकात को केवल द्विपक्षीय रिश्तों तक सीमित न मानते हुए इसे वैश्विक शक्ति-संतुलन के दृष्टिकोण से भी अहम बताया है। SCO जैसे बहुपक्षीय मंच पर हुई यह बैठक दर्शाती है कि भारत और चीन क्षेत्रीय स्थिरता में निर्णायक भूमिका निभाना चाहते हैं।

आगे की राह

भले ही इस बैठक में किसी बड़े समझौते की घोषणा नहीं हुई, लेकिन यह साफ संकेत मिला कि आने वाले महीनों में संवाद और सहयोग के नए रास्ते खुल सकते हैं। सीमाओं पर शांति, व्यापारिक असंतुलन को कम करना और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दे दोनों देशों की प्राथमिकता बने रहेंगे।

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