नई दिल्ली, 23 अगस्त 2025: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने रिलायंस कम्युनिकेशंस (Reliance Communications – RCom) और उसके प्रमोटर अनिल अंबानी से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की है। यह कदम भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की शिकायत पर उठाया गया है, जिसमें कंपनी पर लगभग 2000 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी का आरोप है।
कैसे सामने आया मामला?
रिपोर्टों के अनुसार, एसबीआई ने जून 2025 में आरकॉम और उससे जुड़ी कुछ कंपनियों के खातों को ‘फ्रॉड’ श्रेणी में डाल दिया था। बैंक ने बाद में यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को दी और नियमानुसार सीबीआई को शिकायत भेजी। इसी आधार पर एजेंसी ने प्राथमिकी (FIR) दर्ज कर छापेमारी शुरू की।
छापेमारी में क्या मिला?
सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि मुंबई और अन्य जगहों पर कई परिसरों पर छापेमारी की गई। इस दौरान बैंकिंग लेन-देन से जुड़े कागजात, वित्तीय रिकॉर्ड और डिजिटल डाटा जब्त किए गए। एजेंसी का मानना है कि कंपनी ने फंड आधारित और गैर-फंड आधारित क्रेडिट सुविधाओं का दुरुपयोग किया और बकाया राशि समय पर चुकाने में असफल रही।
कुल बकाया राशि: लगभग 2000 करोड़ रुपये
इसमें बैंक गारंटी और ब्याज की रकम भी शामिल
बैंक को भारी वित्तीय नुकसान की आशंका
आरकॉम की पृष्ठभूमि
रिलायंस कम्युनिकेशंस एक समय भारत की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनियों में से एक थी। लेकिन 2010 के दशक के बाद से कंपनी कर्ज और प्रतिस्पर्धा के दबाव में बुरी तरह फंस गई।
2019 में कंपनी दिवालिया प्रक्रिया (Insolvency Process) में गई थी।
अनिल अंबानी की कई कंपनियां कर्ज विवादों और सरकारी जांचों के घेरे में पहले भी रह चुकी हैं।
कंपनी पर हजारों करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है, जिसमें से बड़ा हिस्सा बैंकों का है।
जांच की अगली कड़ी
सीबीआई के सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में कंपनी से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों और पूर्व निदेशकों के बयान दर्ज किए जाएंगे। साथ ही, फंड ट्रांसफर और गारंटी की श्रृंखला को ट्रैक कर यह पता लगाने की कोशिश होगी कि धोखाधड़ी किस स्तर पर और किसकी मंजूरी से हुई।
कंपनी और अनिल अंबानी की मुश्किलें
यह मामला अनिल अंबानी समूह (Reliance ADA Group) के लिए बड़ी परेशानी खड़ी कर सकता है। पहले से चल रही ED और SEBI की जांचों के बीच अब CBI की इस कार्रवाई ने कंपनी के सामने कानूनी जोखिम और बढ़ा दिया है। हालांकि, अब तक अनिल अंबानी या कंपनी की तरफ से इस मामले में कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
आगे क्या?
अगर जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो सीबीआई आरोप पत्र दाखिल कर अदालत में मुकदमा शुरू कर सकती है। दोषी पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों और कंपनी प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई संभव है।
