ISRO का मेगा रॉकेट प्लान: 40 मंजिला ऊंचा लॉन्च व्हीकल, 75 टन पेलोड अंतरिक्ष में ले जाने की तैयारी

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

हैदराबाद, 19 अगस्त 2025 — भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष विज्ञान की दिशा में एक और ऐतिहासिक कदम बढ़ाते हुए भारी क्षमता वाले नए रॉकेट की योजना का खुलासा किया है। इसरो के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन ने जानकारी दी कि एजेंसी एक ऐसे लॉन्च व्हीकल (रॉकेट) पर काम कर रही है, जिसकी ऊंचाई लगभग 40 मंजिला इमारत के बराबर होगी और जो 75,000 किलोग्राम (75 टन) तक का पेलोड लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) में पहुंचा सकेगा।

डॉ. नारायणन का बड़ा एलान

हैदराबाद स्थित उस्मानिया विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान डॉ. नारायणन ने कहा कि इसरो भविष्य के मिशनों के लिए उन्नत और हैवी-लिफ्ट लॉन्च व्हीकल तैयार कर रहा है। उनका मानना है कि आने वाले समय में ऐसे रॉकेट भारत के लिए मानवयुक्त मिशन, अंतरिक्ष स्टेशन मॉड्यूल, संचार उपग्रह और बड़े पैमाने पर वैज्ञानिक प्रयोगों को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे।

उन्होंने यह भी बताया कि इस वर्ष इसरो के एजेंडा में कई अहम प्रोजेक्ट शामिल हैं — जिनमें NAVIC सैटेलाइट्स का प्रक्षेपण, N1 रॉकेट से जुड़े परीक्षण, उन्नत संचार उपग्रह और विदेशी ग्राहकों के लिए लॉन्च मिशन शामिल हैं।

क्यों महत्वपूर्ण है 75 टन क्षमता वाला रॉकेट?

अब तक इसरो 4 टन से अधिक भार तक के उपग्रहों को कक्षा में भेजने में सक्षम रहा है, लेकिन 75 टन क्षमता वाला रॉकेट भारत को वैश्विक स्तर पर हैवी-लिफ्ट लॉन्च सेवाओं में मजबूती देगा।

इससे भारत अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की दिशा में निर्णायक कदम उठा सकेगा।

देश के मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियानों (Gaganyaan से आगे के चरणों) के लिए आवश्यक बड़े मॉड्यूल अंतरिक्ष में भेजना संभव होगा।

साथ ही, भारी commercial payloads और रक्षा-संबंधी मिशनों को भी कक्षा में ले जाने की क्षमता भारत के पास होगी।

चुनौतियाँ और तैयारी

विशेषज्ञों का मानना है कि 75 टन श्रेणी के रॉकेट के विकास में कई साल लग सकते हैं, क्योंकि इसमें नई इंजन तकनीक, क्रायोजेनिक प्रणोदन प्रणाली, विशाल लॉन्चपैड और जटिल परीक्षण प्रक्रियाओं की आवश्यकता होगी। हालांकि, इसरो ने पहले भी चरणबद्ध ढंग से सफलता हासिल की है — छोटे पेलोड से लेकर अब मध्यम और भारी श्रेणी तक — और अब इस नये प्रयास को इसी प्रगति का अगला चरण माना जा रहा है।

डॉ. वी. नारायणन की भूमिका

जनवरी 2025 में इसरो का नेतृत्व संभालने वाले डॉ. नारायणन क्रायोजेनिक इंजन और लिक्विड प्रोपल्शन टेक्नोलॉजी के विशेषज्ञ माने जाते हैं। उन्होंने अपने करियर के दौरान कई अहम प्रोजेक्ट्स का नेतृत्व किया है और अब उनके अनुभव के आधार पर इसरो को अगले दशक के बड़े लक्ष्यों की ओर बढ़ाया जा रहा है।

आगे की दिशा

भारत ने आने वाले वर्षों में स्पेस स्टेशन और मानवयुक्त मिशनों के विस्तार का खाका तैयार किया है। ऐसे में 40-मंजिला ऊंचाई वाले इस हैवी-लिफ्ट लॉन्च व्हीकल का विकास देश की अंतरिक्ष यात्रा को एक नई दिशा देगा और भारत को वैश्विक अंतरिक्ष प्रतिस्पर्धा में एक और मजबूत पहचान दिलाएगा।

Leave a Comment

और पढ़ें