कपास आयात पर सरकार का बड़ा फैसला: 30 सितंबर तक शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति

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कपड़ा उद्योग को राहत देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने कच्चे कपास के आयात पर लगने वाले शुल्क को अस्थायी रूप से हटा दिया है। सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार 19 अगस्त 2025 से 30 सितंबर 2025 तक कपास (Raw Cotton) का आयात शुल्क-मुक्त किया गया है।

क्यों लिया गया यह फैसला?

पिछले कुछ महीनों से घरेलू बाज़ार में कपास की कीमतों में बढ़ोतरी और उपलब्धता में कमी की स्थिति बनी हुई थी। इससे यार्न, फैब्रिक और परिधान उद्योग की लागत लगातार बढ़ रही थी। उद्योग संगठनों की मांग पर सरकार ने आयात शुल्क हटाने का निर्णय लिया है ताकि कच्चे माल की आपूर्ति स्थिर हो सके और उत्पादन लागत नियंत्रित रहे।

साथ ही, अमेरिका द्वारा भारतीय परिधान निर्यात पर अतिरिक्त शुल्क लगाने के कारण उद्योग की प्रतिस्पर्धा प्रभावित हुई है। ऐसे समय में शुल्क-मुक्त आयात से परिधान व टेक्सटाइल निर्यातकों को राहत मिलने की उम्मीद है।

किसे होगा फायदा?

स्पिनिंग मिल्स और गारमेंट उद्योग: कच्चे माल की लागत कम होने से उत्पादन सस्ता होगा।

निर्यातक: अमेरिकी बाज़ार समेत वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिके रहने में मदद मिलेगी।

उपभोक्ता: परिधान व घरेलू वस्त्रों की कीमतों पर बढ़ोतरी का दबाव कम हो सकता है।

त्योहार सीज़न को ध्यान में रखकर कदम

त्योहारी सीज़न में कपड़ा और परिधान की मांग तेजी से बढ़ती है। इस दौरान उद्योग को कच्चे माल की अधिक ज़रूरत होती है। शुल्क-मुक्त आयात से उत्पादन सुचारू रहेगा और घरेलू तथा निर्यात बाज़ार में समय पर आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी।

शेयर बाज़ार में असर

सरकार के फैसले का सकारात्मक असर शेयर बाज़ार पर भी देखने को मिला। घोषणा के बाद कई प्रमुख टेक्सटाइल कंपनियों के शेयरों में 8 से 9 प्रतिशत तक की बढ़त दर्ज की गई।

आगे की स्थिति

यह राहत केवल 30 सितंबर 2025 तक के लिए है। अगर कच्चे माल की समस्या बनी रही और निर्यात दबाव में रहा, तो उद्योग की ओर से इस छूट की अवधि बढ़ाने की मांग की जा सकती है। हालांकि, सरकार ने फिलहाल इसे अल्पकालिक उपाय बताया है, जिससे किसानों और उद्योग—दोनों के हित संतुलित रह सकें।

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