नई दिल्ली, 19 अगस्त 2025: देश के अगले उपराष्ट्रपति पद के लिए अब मुकाबला दिलचस्प हो गया है। सत्ता पक्ष एनडीए और विपक्षी गठबंधन INDIA ने अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। जहाँ एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल और वरिष्ठ भाजपा नेता सी.पी. राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है, वहीं विपक्ष ने पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज बी. सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारकर मुकाबला त्रिकोणीय नहीं बल्कि सीधे दो-दलीय बना दिया है।
चुनाव की तारीखें और प्रक्रिया
नामांकन की अंतिम तिथि: 21 अगस्त 2025
मतदान: 9 सितंबर 2025
मतगणना: मतदान के तुरंत बाद परिणाम घोषित किया जाएगा।
कुल मतदाता: लोकसभा और राज्यसभा के संयुक्त 786 सांसद वोट डालेंगे।
बहुमत का आंकड़ा: जीत के लिए उम्मीदवार को 394 वोट जुटाने होंगे।
चुनाव गुप्त मतदान और एकल हस्तांतरणीय वोट प्रणाली के तहत संपन्न होगा।
यह चुनाव मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफे के बाद हो रहा है।
INDIA गठबंधन का दांव: बी. सुदर्शन रेड्डी
विपक्षी गठबंधन ने राजनीति से बाहर के एक प्रतिष्ठित नाम को सामने लाकर सत्तापक्ष को चुनौती देने की रणनीति अपनाई है।
जन्म और शिक्षा: आंध्र प्रदेश में जन्मे रेड्डी ने विधि की पढ़ाई के बाद वकालत से करियर की शुरुआत की।
न्यायिक जीवन: वे लंबे समय तक आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में जज रहे और वर्ष 2007 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने।
विशेष पहचान: नागरिक अधिकारों और संवैधानिक मूल्यों से जुड़े मामलों में उनके फैसलों को हमेशा उल्लेखनीय माना गया।
विपक्ष की रणनीति: INDIA गठबंधन का कहना है कि उपराष्ट्रपति का पद केवल राजनीतिक गणित का हिस्सा नहीं होना चाहिए, बल्कि इस पर ऐसे व्यक्ति को आसीन होना चाहिए जो संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के प्रति प्रतिबद्ध हो।
एनडीए का प्रत्याशी: सी.पी. राधाकृष्णन
एनडीए ने एक अनुभवी राजनेता को चुना है जिनका राजनीति और संगठन में लंबा अनुभव रहा है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि: तमिलनाडु भाजपा के दो बार अध्यक्ष रहे।
संसदीय अनुभव: 1998 और 1999 में कोयंबटूर से सांसद चुने गए और संसद में कई समितियों के सदस्य रहे।
वर्तमान पद: फिलहाल वे महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं।
राजनीतिक महत्व: भाजपा ने उन्हें दक्षिण भारत से उम्मीदवार बनाकर स्पष्ट संदेश दिया है कि वह क्षेत्रीय संतुलन और तमिलनाडु में अपनी राजनीतिक पैठ बढ़ाने के प्रयास कर रही है।
समर्थन का गणित
एनडीए की स्थिति: लोकसभा में भाजपा और उसके सहयोगियों के पास स्पष्ट बहुमत है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश की प्रमुख पार्टियाँ—तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी)—भी एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने की घोषणा कर चुकी हैं। इससे राधाकृष्णन की स्थिति बेहद मजबूत मानी जा रही है।
विपक्ष की एकजुटता: INDIA गठबंधन ने रेड्डी के नाम पर सहमति जताकर यह संदेश दिया है कि विपक्ष एकजुट है और सत्ता पक्ष को बिना चुनौती मैदान नहीं छोड़ना चाहता। हालांकि, कई क्षेत्रीय दलों का रुख अभी पूरी तरह साफ नहीं है।
मुकाबले की राजनीतिक अहमियत
इस चुनाव के नतीजे से सरकार के कामकाज पर कोई सीधा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन इसका राजनीतिक महत्व बेहद बड़ा है।
1. दक्षिण भारत का समीकरण: भाजपा ने तमिलनाडु से और विपक्ष ने आंध्र प्रदेश से उम्मीदवार उतारकर साफ संकेत दिया है कि दोनों ही खेमे दक्षिण में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं।
2. संवैधानिक बनाम राजनीतिक चेहरा: विपक्ष ने गैर-दलगत पृष्ठभूमि वाले न्यायविद को सामने रखकर नैतिक और संवैधानिक मूल्यों का संदेश दिया है। जबकि एनडीए का दांव एक अनुभवी राजनेता पर है जो संसदीय प्रक्रियाओं को समझते हैं।
3. INDIA गठबंधन की परीक्षा: यह चुनाव विपक्षी गठबंधन के लिए एकजुटता की परीक्षा भी माना जा रहा है। अगर सभी विपक्षी दल वोट एकतरफा करते हैं तो यह राजनीतिक रूप से बड़ा संदेश जाएगा।
निष्कर्ष
उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 केवल औपचारिक प्रक्रिया नहीं रहेगा, बल्कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई के रूप में देखा जाएगा।
एक ओर हैं सी.पी. राधाकृष्णन, जिनके पास राजनीतिक अनुभव और एनडीए का मजबूत समर्थन है।
दूसरी ओर हैं बी. सुदर्शन रेड्डी, जो संविधान और न्यायपालिका से जुड़ी अपनी छवि के दम पर विपक्ष की उम्मीद बनकर मैदान में उतरे हैं।
अब 9 सितंबर को होने वाला मतदान ही तय करेगा कि संसद की ऊपरी सदन की कार्यवाही को कौन संचालित करेगा और देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन बनेगा।
