नई दिल्ली, 18 अगस्त 2025 – संसद के मॉनसून सत्र में लगातार हो रहे हंगामे और विपक्षी सांसदों की आक्रामक रणनीति के बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचाना किसी भी सांसद का अधिकार नहीं है और यदि स्थिति नियंत्रण से बाहर जाती है तो “निर्णायक कार्रवाई” की जाएगी।
दरअसल, बीते दिनों विपक्षी सांसद बिहार की मतदाता सूची संशोधन (SIR) और अन्य मुद्दों को लेकर सदन में नारेबाज़ी करते हुए वेल तक पहुँच गए। इस दौरान कई सांसद पोस्टर और प्लेकार्ड लेकर आए, जिससे कार्यवाही बार-बार बाधित हुई। इस पर नाराज़गी जताते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने दो टूक कहा कि संसद बहस और विमर्श का मंच है, इसे सड़क की राजनीति का अखाड़ा नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने सांसदों से अपील की कि वे शालीनता बनाए रखें, क्योंकि पूरा देश सदन की कार्यवाही देख रहा है और जनता की उम्मीदें इसी मंच से जुड़ी हैं।
ओम बिड़ला ने विपक्षी सांसदों को चेताते हुए कहा कि सदन की गरिमा भंग करने वाले व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्लेकार्ड लाकर नारेबाज़ी करना, सरकारी संपत्ति को तोड़ना या जानबूझकर कार्यवाही बाधित करना नियमों का उल्लंघन है और इसके खिलाफ कठोर कदम उठाना उनकी ज़िम्मेदारी है।
यह पहला मौका नहीं है जब अध्यक्ष ने इस तरह का सख्त रुख अपनाया हो। इससे पहले भी कई बार उन्होंने सदन की कार्यवाही में बाधा डालने वालों को नियमों का हवाला देते हुए चेताया है। उनका मानना है कि संसदीय लोकतंत्र में असहमति और विरोध दर्ज कराने के लिए पर्याप्त संसदीय प्रक्रियाएँ उपलब्ध हैं, लेकिन हंगामा और तोड़फोड़ इस परंपरा का हिस्सा नहीं हो सकते।
क्यों अहम है यह बयान
लोकसभा अध्यक्ष का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि मौजूदा सत्र में लगातार गतिरोध बना हुआ है। विपक्ष सरकार पर सवाल उठाने के लिए आक्रामक रणनीति अपनाए हुए है, जबकि सत्तापक्ष कामकाज सुचारू रूप से चलाने की कोशिश में है। ऐसे माहौल में ओम बिड़ला ने संकेत दे दिए हैं कि अगर सांसद संसदीय मर्यादा का पालन नहीं करते तो नियमों के तहत सख्ती निश्चित है।
ओम बिड़ला का यह रुख न केवल वर्तमान सत्र की कार्यवाही को अनुशासित बनाने के लिए अहम है, बल्कि आने वाले दिनों में संसद की कार्यसंस्कृति को भी प्रभावित कर सकता है।
