नई दिल्ली, 18 अगस्त 2025 : भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने उपराष्ट्रपति पद के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को उम्मीदवार घोषित कर दिया है। पार्टी का यह फैसला कई स्तरों पर रणनीतिक माना जा रहा है। राधाकृष्णन न केवल दक्षिण भारत, बल्कि तमिलनाडु की राजनीति में भी एक अहम चेहरा रहे हैं। उनकी छवि साफ-सुथरी, गैर-विवादित और सभी दलों के साथ संवाद बनाए रखने वाली मानी जाती है।
कौन हैं सी.पी. राधाकृष्णन?
सी.पी. राधाकृष्णन (जन्म 1957) तमिलनाडु के कोयंबटूर से आते हैं। वे भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे हैं और दो बार सांसद रह चुके हैं। लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहे राधाकृष्णन का संगठन में खासा अनुभव है। उन्हें झारखंड, तेलंगाना और पुडुचेरी का अतिरिक्त कार्यभार संभालने का भी अनुभव है। वर्तमान में वे महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में कार्यरत हैं। उनकी पहचान एक ऐसे राजनेता की है जो विवादों से दूर रहते हैं और प्रशासनिक समझ रखते हैं।
BJP ने क्यों चुना राधाकृष्णन?
पार्टी सूत्रों के मुताबिक राधाकृष्णन का नाम कई कारणों से चुना गया है। सबसे बड़ा कारण है दक्षिण भारत पर फोकस। तमिलनाडु में भाजपा का जनाधार अपेक्षाकृत कमजोर रहा है। ऐसे में पार्टी एक तमिल और OBC समुदाय से आने वाले चेहरे को राष्ट्रीय स्तर पर आगे लाकर वहाँ के मतदाताओं को संदेश देना चाहती है।
इसके साथ ही, राधाकृष्णन की छवि विपक्ष और अन्य दलों के साथ बेहतर तालमेल रखने वाले नेता की है। भाजपा चाहती है कि उपराष्ट्रपति का पद ऐसे व्यक्ति को मिले जो संसदीय कार्यों में सहजता से काम कर सके और विपक्ष के साथ संवाद स्थापित कर सके।
विपक्ष की चुनौती और संभावित दरार
भाजपा के इस फैसले के बाद विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक के सामने नई चुनौती खड़ी हो गई है। एक तरफ उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत उम्मीदवार खड़ा करना है, दूसरी तरफ तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी DMK जैसी पार्टियों के लिए यह स्थिति असहज हो सकती है। DMK के लिए किसी तमिल उम्मीदवार का विरोध करना आसान नहीं होगा, लेकिन भाजपा के उम्मीदवार का समर्थन करना उनके राजनीतिक हितों के खिलाफ भी हो सकता है।
यही वजह है कि राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह चुनाव विपक्षी गठबंधन की एकजुटता की असली परीक्षा साबित हो सकता है। यदि कुछ दल भाजपा के उम्मीदवार को समर्थन देने का फैसला करते हैं तो विपक्षी खेमे में दरार पड़ सकती है।
आगे की प्रक्रिया
चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव की तारीख पहले ही तय कर दी है। मतदान संसद के दोनों सदनों के सांसदों द्वारा किया जाएगा। मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कार्यकाल पूरा होने के बाद नया उपराष्ट्रपति पदभार संभालेगा।
निष्कर्ष
भाजपा का यह कदम न केवल राजनीतिक गणित बल्कि सामाजिक संतुलन को भी ध्यान में रखकर उठाया गया प्रतीत होता है। एक ओर यह दक्षिण भारत को संदेश देने की कोशिश है, तो दूसरी ओर OBC प्रतिनिधित्व को मजबूत करने का प्रयास भी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष इस चुनौती का कैसे सामना करता है और क्या वास्तव में विपक्षी खेमे में दरार पड़ती है या INDIA गठबंधन मजबूती से एकजुट रहकर मुकाबला करता है।
