पटना, 18 अगस्त 2025: बिहार की राजनीति में इन दिनों सबसे बड़ा मुद्दा स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) बन गया है। चुनाव आयोग (ECI) ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों की पूरी सूची सार्वजनिक कर दी है। अब कोई भी मतदाता ऑनलाइन पोर्टल या जिला-स्तरीय वेबसाइट पर जाकर यह देख सकता है कि उसका नाम वोटर लिस्ट में है या नहीं।
क्यों हटाए गए इतने नाम?
आयोग के अनुसार यह प्रक्रिया सामान्य सत्यापन का हिस्सा है। जांच के दौरान पाया गया कि लाखों नाम या तो दोहराए गए थे, कई लोग स्थायी रूप से दूसरी जगह जा चुके थे, और बड़ी संख्या में लोग अब जीवित नहीं हैं।
मृत्यु के आधार पर हटाए गए: लगभग 22.34 लाख नाम।
प्रवासन/अनुपस्थिति: करीब 36.28 लाख।
दुहराव (Duplicate): लगभग 7.01 लाख।
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और आयोग की कार्रवाई
बिहार में इतने बड़े पैमाने पर नाम हटाए जाने के बाद विवाद बढ़ा और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। अदालत ने पारदर्शिता की ज़रूरत को देखते हुए आयोग को आदेश दिया कि हटाए गए सभी नामों की सूची कारणों सहित सार्वजनिक की जाए। इसके बाद आयोग ने मात्र 56 घंटे में पूरी सूची वेबसाइट पर अपलोड कर दी।
कहाँ और कैसे देखें अपना नाम
मतदाता अपना नाम जांचने के लिए दो तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं –
1. ECI Voter Services Portal: https://voters.eci.gov.inपर जाकर Search in Electoral Roll विकल्प चुनें। यहाँ EPIC नंबर या नाम और जन्म वर्ष डालकर आप तुरंत स्थिति देख सकते हैं।
Portal: https://voters.eci.gov.inपर जाकर Search in Electoral Roll विकल्प चुनें। यहाँ EPIC नंबर या नाम और जन्म वर्ष डालकर आप तुरंत स्थिति देख सकते हैं।
2. बिहार CEO की वेबसाइट: बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (CEO Bihar) की वेबसाइट https://ceobihar.nic.in पर Search in PDF/E-Roll सेक्शन में जिला और विधानसभा क्षेत्र चुनकर नाम देखा जा सकता है।
अगर नाम हट गया तो क्या करें?
यदि किसी मतदाता का नाम हटाया गया है, तो वह दावा/आपत्ति (Claim & Objection) दाखिल कर सकता है।
इसके लिए Form 6 (नाम जुड़वाने), Form 7 (गलत हटाए गए नाम पर आपत्ति) जैसे प्रपत्र उपलब्ध हैं।
ये फॉर्म ऑनलाइन पोर्टल से भरे जा सकते हैं या फिर स्थानीय Booth Level Officer (BLO) अथवा Electoral Registration Officer (ERO) को जमा किए जा सकते हैं।
आयोग ने दावे और आपत्तियाँ दाखिल करने की अंतिम तिथि 1 सितंबर 2025 तय की है।
अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर 2025 तक प्रकाशित होने की संभावना है।
राजनीतिक बवाल क्यों?
इतनी बड़ी संख्या में नाम हटाए जाने को लेकर विपक्ष ने आरोप लगाया है कि यह कदम आगामी बिहार चुनाव को प्रभावित करने के लिए उठाया गया है। उनका कहना है कि विशेष रूप से गरीब, प्रवासी और पिछड़े वर्गों के मतदाता इस प्रक्रिया से प्रभावित हुए हैं।
दूसरी ओर, चुनाव आयोग ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह सामान्य सत्यापन की प्रक्रिया है, जिसमें पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए हर स्तर पर रिकॉर्ड मिलान किया गया है।
आगे की राह
अब सभी निगाहें इस बात पर हैं कि दावे और आपत्तियों के बाद कितने नाम वापस लिस्ट में जुड़ते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी योग्य मतदाता को उसके अधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। आने वाले दिनों में यह मुद्दा बिहार की सियासत का सबसे अहम विषय बना रह सकता है।
