नई दिल्ली, 16 अगस्त: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आलास्का में हुई मुलाकात के बाद वैश्विक राजनीति में नए संकेत देखने को मिले हैं। बैठक के बाद ट्रंप ने भारत पर लगाए गए टैरिफ और रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर पाबंदियों को लेकर नरम रुख दिखाया है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।
बैठक का सार
ट्रंप और पुतिन की इस उच्चस्तरीय वार्ता का मुख्य उद्देश्य यूक्रेन युद्ध और ऊर्जा आपूर्ति को लेकर सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा करना था। दोनों नेताओं ने बातचीत को “उत्पादक और सकारात्मक” बताया, लेकिन किसी बड़े समझौते की घोषणा नहीं की।
भारत पर असर
हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने भारत से आने वाले कुछ आयातों पर 50% तक के अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की थी। इस कदम का कारण भारत द्वारा रूस से तेल की खरीद को बताया गया था। इस फैसले से भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ गया। हालांकि, बैठक के बाद ट्रंप ने कहा कि रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर “तत्काल दंडात्मक कार्रवाई” की जरूरत नहीं दिख रही है और इस पर अगले 2–3 हफ्तों में फिर विचार किया जाएगा।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने स्पष्ट किया है कि उसकी ऊर्जा नीति उसके राष्ट्रीय हितों पर आधारित है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत अपने नागरिकों की जरूरतों और आर्थिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा खरीद करता रहेगा। साथ ही भारत ने यह भी दोहराया कि विवादित मुद्दों का समाधान बातचीत से ही संभव है।
अमेरिकी राजनीति और टैरिफ पर बहस
अमेरिका के भीतर भी ट्रंप के टैरिफ फैसले पर बहस तेज है। कई विशेषज्ञों और विपक्षी नेताओं का कहना है कि भारी आयात शुल्क से रूस पर तो कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन अमेरिकी उपभोक्ताओं और व्यापारियों पर इसका बोझ बढ़ेगा। व्यापारिक संगठनों का मानना है कि 50% तक के शुल्क छोटे और मध्यम व्यवसायों के लिए विनाशकारी साबित हो सकते हैं।
आगे का रास्ता
विशेषज्ञों का मानना है कि फिलहाल ट्रंप का नरम रुख भारत के लिए राहत का संकेत है। आने वाले कुछ हफ्तों में यह तय होगा कि अमेरिका वास्तव में टैरिफ लागू करेगा या फिर कूटनीतिक बातचीत से हल निकाला जाएगा।
