नई दिल्ली, 14 अगस्त 2025 — भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने पाकिस्तान के हालिया भारत-विरोधी और युद्धोन्मादी बयानों पर सख्त आपत्ति जताते हुए स्पष्ट चेतावनी दी है कि इस तरह की बयानबाज़ी और शरारतपूर्ण गतिविधियों के परिणाम गंभीर हो सकते हैं। मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान के नेता अपनी आंतरिक नाकामियों को छुपाने के लिए लंबे समय से इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करते आ रहे हैं, जो क्षेत्रीय शांति के लिए खतरनाक है।
पाकिस्तान के परमाणु धमकी वाले बयान पर नाराज़गी
MEA की प्रतिक्रिया पाकिस्तान के सेना प्रमुख के हाल ही में अमेरिका में दिए गए उन बयानों के बाद आई है, जिनमें कथित रूप से परमाणु हथियारों का जिक्र किया गया था। भारत ने इसे “न्यूक्लियर सैबर-रैटलिंग” यानी परमाणु धमकाने की रणनीति करार दिया और कहा कि इस तरह की भाषा न केवल गैर-जिम्मेदाराना है बल्कि दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करती है।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे बयानों के लिए तीसरे, मित्र देश की जमीन का इस्तेमाल किया गया। भारत ने साफ कर दिया कि वह किसी भी तरह के “परमाणु ब्लैकमेल” को स्वीकार नहीं करेगा और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।
अमेरिका-चीन को लेकर भारत का रुख
विदेश मंत्रालय ने अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी की मजबूती पर भरोसा जताया। मंत्रालय ने कहा कि दोनों देशों के रिश्ते ठोस नींव पर खड़े हैं और इन पर किसी बाहरी बयानबाज़ी का असर नहीं होगा। साथ ही, चीन से जुड़े मुद्दों पर भारत ने यह स्पष्ट किया कि वह अपनी संप्रभुता और सीमाई सुरक्षा से जुड़े हितों से कोई समझौता नहीं करेगा।
कूटनीतिक रणनीति और आगे का रास्ता
MEA के इस बयान से साफ है कि भारत ने पाकिस्तान को न केवल मौखिक चेतावनी दी है, बल्कि जरूरत पड़ने पर जवाबी कार्रवाई के विकल्प भी खुले रखे हैं। मंत्रालय ने संकेत दिया कि जल-स्रोत, सीमा सुरक्षा और क्षेत्रीय आतंकवाद जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भारत अपनी नीति को और सख्त बना सकता है।
निष्कर्ष
भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा कूटनीतिक तनाव ऐसे समय में सामने आया है जब दोनों देश परमाणु क्षमता रखते हैं और किसी भी तरह की उग्र भाषा क्षेत्रीय और वैश्विक चिंता का विषय बन सकती है। MEA का बयान इस बात का संकेत है कि भारत अपने हितों की रक्षा के लिए किसी भी स्तर पर पीछे हटने को तैयार नहीं है।
