नई दिल्ली, 11 अगस्त 2025: मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में सोमवार को दो अहम कर विधेयक — Income-Tax (No. 2) Bill, 2025 और Taxation Laws (Amendment) Bill, 2025 — विपक्षी हंगामे के बीच बिना किसी बहस के पारित कर दिए गए। इस कदम से जहां सरकार ने इसे कर सुधार की दिशा में ऐतिहासिक पहल बताया, वहीं विपक्ष ने प्रक्रिया को संसदीय परंपराओं के खिलाफ बताया।
Income-Tax (No. 2) Bill, 2025 — क्या बदलेगा?
पुराने कानून को अलविदा: 1961 का Income-Tax Act अब इतिहास बनेगा, नया बिल इसे पूरी तरह से बदल देगा।
सरल संरचना: अनुभागों की संख्या घटाकर 536 की गई, जबकि पुराने कानून में 800 से अधिक सेक्शन थे।
अध्याय और अनुसूचियां: नए कानून में 23 अध्याय और 16 अनुसूचियां शामिल।
नई अवधारणा — ‘Tax Year’: ‘Assessment Year’ की जगह एकल ‘Tax Year’ लागू होगा।
कर छूट सीमा बरकरार: ₹12 लाख तक की वार्षिक आय पर कर छूट जारी रहेगी।
फेसलेस असेसमेंट: डिजिटल माध्यम से असेसमेंट, जिससे मानव हस्तक्षेप कम और पारदर्शिता अधिक।
हाउस प्रॉपर्टी आय पर प्रावधान: वार्षिक मूल्य का 30% मानक कटौती और गृह ऋण के पूर्व-निर्माण ब्याज पर पांच किस्तों में राहत।
पेंशन लाभ समान: सरकारी, निजी या व्यक्तिगत निवेश से मिलने वाले पेंशन पर समान कर छूट।
रिफंड में सहूलियत: समय सीमा पार होने पर भी रिफंड का दावा संभव।
Taxation Laws (Amendment) Bill, 2025 — मुख्य उद्देश्य
यह विधेयक Unified Pension Scheme के सब्सक्राइबर्स को कर छूट प्रदान करता है। सरकार का दावा है कि इससे दीर्घकालिक बचत को बढ़ावा मिलेगा और वरिष्ठ नागरिकों की आर्थिक सुरक्षा मजबूत होगी।
विपक्ष का विरोध और सदन का माहौल
विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि इतने महत्वपूर्ण विधेयकों को बिना चर्चा पारित करना लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने मांग की कि पहले बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन और अन्य संवेदनशील मुद्दों पर बहस होनी चाहिए थी। भारी हंगामे के बीच स्पीकर ने विधेयकों को पास कराया और फिर कार्यवाही स्थगित कर दी।
सरकार का तर्क और संभावित असर
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह सुधार कर प्रणाली को “सरल, पारदर्शी और डिजिटल-फ्रेंडली” बनाएंगे।
इन बदलावों के 1 अप्रैल 2026 से लागू होने की संभावना है, जिससे:
कर अनुपालन में आसानी,
कर विवादों में कमी,
और करदाताओं को तेज, पारदर्शी सेवाएं
नया आयकर विधेयक न केवल कानूनी भाषा और ढांचे को सरल करता है, बल्कि तकनीक आधारित कर प्रशासन की ओर एक बड़ा कदम है। हालांकि, बिना चर्चा विधेयक पारित होने को लेकर उठी आपत्तियों ने इस सुधार पर राजनीतिक बहस को तेज कर दिया है।
