फतेहपुर, 11 अगस्त 2025 — उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में नवाब अब्दुल समद के बताए जाने वाले मकबरे को लेकर सोमवार को विवाद तेज हो गया। हिंदू संगठनों और भाजपा के स्थानीय नेताओं ने इसे प्राचीन शिव/श्रीकृष्ण मंदिर बताते हुए पूजा-अर्चना की मांग की, जबकि मुस्लिम समुदाय का कहना है कि यह ऐतिहासिक मकबरा है। विवाद के चलते इलाके में तनाव बढ़ गया और पुलिस ने भारी सुरक्षा बल तैनात कर हालात पर काबू पाने की कोशिश की।
घटनाक्रम
रविवार को भाजपा फतेहपुर जिलाध्यक्ष का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने इस स्थान को प्राचीन ठाकुर/शिव मंदिर बताते हुए लोगों से सुबह यहां पहुंचने का आह्वान किया। सोमवार सुबह बड़ी संख्या में लोग स्थल पर पहुंचे, बैरिकेडिंग तोड़ी गई और अंदर बने ढांचों को नुकसान पहुंचाने की खबरें आईं। मौके पर माहौल तनावपूर्ण हो गया।
दोनों पक्षों के दावे
हिंदू पक्ष: स्थानीय भाजपा नेता और कुछ हिंदू संगठनों का कहना है कि यह स्थल सदियों पुराना मंदिर था, जिसे बाद में मकबरे में बदल दिया गया। उनका दावा है कि अंदर मंदिर से जुड़ी संरचनात्मक निशानियां और शिवलिंग जैसी आकृतियां मौजूद हैं।
मुस्लिम पक्ष: स्थानीय मुस्लिम समुदाय का कहना है कि यह नवाब अब्दुल समद का मकबरा है और इस पर हमला धार्मिक स्थल का अपमान है। वे प्रशासन से दोषियों पर कार्रवाई और स्थल की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।
प्रशासनिक और पुलिस कार्रवाई
विवाद बढ़ने पर प्रशासन ने मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया और इलाके की बैरिकेडिंग की। अधिकारियों ने दोनों समुदायों से शांति बनाए रखने की अपील की। घटना से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहे हैं, हालांकि पुलिस ने अब तक आधिकारिक तौर पर गिरफ्तारियों या FIR की संख्या सार्वजनिक नहीं की है।
आगे की स्थिति
संभावना है कि प्रशासन पुरातत्व विभाग या संबंधित एजेंसियों से स्थल का ऐतिहासिक सर्वे कराए। साथ ही, तोड़फोड़ और शांति भंग के मामलों में कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।
निष्कर्ष
फतेहपुर का यह विवाद धार्मिक और ऐतिहासिक दावों के टकराव का संवेदनशील मामला बन गया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसे मुद्दों का समाधान केवल आधिकारिक सर्वे और कानूनी प्रक्रिया से ही संभव है। फिलहाल प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी है और स्थिति पर नज़र रखी जा रही है।
