नई दिल्ली: दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने कहा कि उनकी सरकार दिल्ली को फिल्मी हब बनाने को लेकर बेहद गंभीर है। दिल्ली को अंतरराष्ट्रीय शूटिंग स्थल बनाने के लिए फिल्म पॉलिसी बन रही है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि दिल्ली में फिल्म आदि शूटिंग के आवेदनों को सिंगल विंडो सिस्टम से अनुमति दी जाएगी। इसके अलावा सरकार राजधानी में फिल्म इंडस्ट्री के विकास और सुविधाएं देने की भी योजना बना रही है। मुख्यमंत्री ने यह जानकारी आज सेलिब्रेटिंग इंडिया फिल्म फेस्टिवल (सीआईएफएफ) के समापन समारोह में दी। सीरी फोर्ट स्थित इस आयोजन में कई राजनैतिक हस्तियों के अलावा फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कई नामी लोग भी शामिल हुए।
मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने कहा कि दिल्ली के दिल में इस तरह के शानदार आयोजन की कल्पना करना और फिर उसे हकीकत में बदलना, कोई आसान काम नहीं होता। यहां से एक संदेश निकला है कि हमारी दिल्ली भी अब फिल्म निर्माण और सांस्कृतिक चेतना का नया केंद्र बनने की दिशा में कदम बढ़ा चुकी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार दिल्ली को फिल्मी हब बनाने को लेकर बेहद गंभीर है, और तेज़ी से आगे बढ़ रही है। हमने दिल्ली को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध शूटिंग स्थल (ग्लोबल शूटिंग डेस्टिनेशन) के रूप में बढ़ावा देने के लिए दिल्ली की फिल्म पॉलिसी को आकार दिया है। मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने यह भी जानकारी दी कि दिल्ली को फिल्म निर्माण का हॉटस्पॉट बनाने के लिए भी हमने तीन करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है। हमें उम्मीद है कि आने वाले साल में हमें काफी फिल्मों की दिल्ली में शूटिंग करने के लिए आवेदन मिलेंगे। हमारा प्रयास होगा कि कि इन आवेदनों को सिंगल विंडो सिस्टम के जरिए अनुमति दी जाए ताकि फिल्म निर्माताओं का मनोबल बढ़े, वो दिल्ली की लोकेशन्स का इस्तेमाल करने के लिए, दिल्ली से जुड़ी फिल्में लिखें। हमारी इस नई फिल्म पॉलिसी के जरिए दिल्ली सिर्फ राजनीति या इतिहास के लिए नहीं, अब अपनी कल्चर, क्रिएटिविटी और अपनी फिल्मी लोकेशन्स के लिए भी पहचानी जाएगी।
मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता का यह भी कहना है कि अभी तक मुंबई को ही फिल्म और मनोरंजन उद्योग के लिए जाना जाता है। दिल्ली का जो भी टैलेंट इस इंडस्ट्री में थोड़ा आगे बढ़ता है वो तुरंत बेहतर विकल्प की तलाश में मुंबई की ओर निकल जाता है। एक तरफ तो दिल्ली में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) जैसा प्रतिष्ठित ड्रामा और थियेटर का संस्थान है, जहां से एक्टिंग सीख कर कई कलाकारों ने देश-विदेश में बहुत नाम कमाया है, लेकिन आज तक किसी ने दिल्ली में ही फिल्म इंडस्ट्री के विकास पर कोई गंभीर पहल या प्रयास नहीं किया है। यह सोचने लायक सवाल है कि लोग एक्टिंग सीखें दिल्ली में और फिर उन्हें काम तलाशने के लिए जाना पड़े मुंबई। अब हमारी हमारी सरकार दिल्ली में फिल्म इंडस्ट्री के विकास के साथ ही ऐसी सुविधाएं उपलब्ध कराने की योजना बना रही है कि फिल्म, सिनेमा, टीवी से जुड़े सभी लोगों को दिल्ली में शूटिंग से लेकर पोस्ट प्रोडक्शन तक सारी सुविधाएं और माहौल यहीं मिले। यहां के कलाकारों को मजबूरी में मुंबई न जाना पड़े। और इस दिशा में दिल्ली में आज का ये आयोजन, एक पड़ाव की तरह है।
मुख्यमंत्री ने यह भी जानकारी दी कि दिल्ली सरकार की भागीदारी से राजधानी में इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया जाएगा, जिसके लिए 30 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस आयोजन से शहर की संस्कृति और विविधता को बढावा मिलेगा, फेस्टिवल में अलग अलग विषयों पर देश ही नहीं विदेशी फिल्मों और डॉक्यूमेंट्री को देखने का मौका मिलेगा। ऐसा फिल्म फेस्टिवल, दरअसल एक ऐसा मंच प्रदान करता है जहां फिल्म मेकर्स से लेकर डिस्ट्रिब्यूटर्स और फिल्मों से जुड़े लोग एक दूसरे से जुड़ सकते हैं और नए अवसरों को पैदा कर सकते हैं। साथ ही ऐसे फेस्टिवल में नए और उभरते टैलेंट को भी अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका और पहचान भी मिलती है। दिल्ली में इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल कराने से पर्यटन को भी काफी फायदा पहुंचेगा, जिस पर हम पहले से ही तैयार हैं। मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने कहा कि आज का यह फिल्म फेस्टिवल साधारण फिल्म फेस्टिवल नहीं है, यह सही मायनों में भारत की विविधता भरी, आत्मा का उत्सव बना है। इस फेस्टिवल में भारत के विभिन्न रूपों और रंगों की झलक देखने को मिली है। सामाजिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, पर्यटन, प्रकृति और पर्यावरण समेत सभी विषयों का समावेश इस मिला। फीचर, नॉन फीचर, शॉर्ट फिल्म से लेकर डॉक्यूमेंट्री तक को इसमें जगह मिली है। साथ ही फिल्म से जुड़े कई अनछुए पहलुओं पर एक्सपर्ट सिने हस्तियों के अनुभवों, विचारों और सुझावों से भी रूबरू होने का मौका मिला। इस कार्यक्रम में फिल्मी हस्ती अन्नू कपूर, रिकी केज, भारतबाला समेत कई गणमान्य लोग शामिल हुए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि फिल्में केवल मनोरंजन नहीं, यह समाज को दिशा देने का माध्यम हैं। जब सिनेमा राष्ट्रभक्ति, संस्कृति और संवेदना को दर्शाता है, तभी वह इतिहास बनाता है। तीन दिनों तक चले इस महोत्सव में विभिन्न भाषाओं की शानदार फिल्में दिखाई गई, साथ ही अनेक महान हस्तियों द्वारा मास्टर क्लासेज द्वारा प्रशिक्षण भी दिया गया है। आयोजकों ने सिनेमा के उस इतिहास को, दिल्ली में लोगों के बीच इस तरह दोहराने का मौका दिया है। इस प्रयास के लिए आयोजकों को पुन: साधुवाद। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि दिल्ली में ऐसे अच्छे आयोजनों की पिक्चर अभी बाकी है।
