नई दिल्ली, 5 अगस्त 2025 संसद के मानसून सत्र में मंगलवार को दो महत्वपूर्ण विधायी फैसले लिए गए। एक ओर लोकसभा ने गोवा विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों (ST) को आरक्षण देने संबंधी विधेयक को पारित कर दिया, वहीं दूसरी ओर मणिपुर में लागू राष्ट्रपति शासन को छह महीने और बढ़ाने की मंज़ूरी भी दे दी गई।
गोवा विधानसभा में ST को मिलेगा आरक्षण
अब तक गोवा विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों (Scheduled Tribes) के लिए कोई आरक्षित सीट नहीं थी, जबकि 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में ST की आबादी लगभग 1.49 लाख है। इस असंतुलन को दूर करने के लिए “गोवा विधानसभा की अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण पुनः समायोजन विधेयक, 2025” (The Readjustment of Representation of Scheduled Tribes in Assembly Constituencies of the State of Goa Bill, 2025) को लोकसभा में पारित कर दिया गया।
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने यह विधेयक पेश किया, जिसे सदन में ध्वनि मत से मंजूरी मिली। विधेयक के तहत अब गोवा विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों को भी राजनीतिक प्रतिनिधित्व का संवैधानिक अधिकार प्राप्त होगा। यह निर्णय राज्य में सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को छह माह का विस्तार
दूसरी ओर, संसद ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन (President’s Rule) की अवधि को छह महीने और बढ़ाने को भी मंज़ूरी दे दी है। अब यह शासन 13 अगस्त 2025 से 12 फरवरी 2026 तक लागू रहेगा।
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में राज्य में स्थिति में सुधार हुआ है और हिंसा की घटनाएं नियंत्रित रही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले चार महीनों में राज्य में केवल एक हिंसक घटना हुई, जिसमें कोई जनहानि नहीं हुई। हालांकि, विपक्षी दलों ने इस विस्तार का विरोध किया। कांग्रेस सांसद अंगोमचा बिमोल अकोइजम ने संविधान के अनुच्छेद 356 का हवाला देते हुए राज्य में जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि राज्य की जनता को अपना जनप्रतिनिधि चुनने का अधिकार मिलना चाहिए।
राजनीतिक संतुलन और लोकतांत्रिक मजबूती की दिशा में कदम
इन दोनों फैसलों को भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली की मजबूती की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। गोवा में ST वर्ग को आरक्षण मिलना सामाजिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेगा, वहीं मणिपुर में राष्ट्रपति शासन का विस्तार कानून व्यवस्था को संभालने के लिए एक आवश्यक निर्णय के रूप में देखा जा रहा है।
