हाल ही में जीएसटी दरों में की गई कटौती के बाद केंद्र सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त निगरानी शुरू कर दी है कि इसका पूरा लाभ उपभोक्ताओं तक पहुँचे। सरकार के मुताबिक, कई ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म्स और रिटेल चैनलों ने कीमतों में अपेक्षित कमी नहीं दिखाई, जिसकी शिकायतें बड़ी संख्या में सामने आई हैं। इसी को देखते हुए केंद्रीय एजेंसियों ने कीमतों और बिलिंग पैटर्न पर करीबी नजर रखना शुरू कर दिया है।
CBIC और उपभोक्ता मंत्रालय का एक्शन प्लान
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) और उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय इस अभियान की निगरानी कर रहे हैं। फील्ड अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे कटौती से पहले और बाद की कीमतों का डेटा इकट्ठा कर रिपोर्ट तैयार करें। यदि पाया गया कि किसी प्लेटफ़ॉर्म ने जीएसटी कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुँचाने में लापरवाही बरती है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
शिकायतों की बाढ़ और ‘डार्क पैटर्न्स’ पर चिंता
नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन (NCH) के पास इस मामले से जुड़ी हजारों शिकायतें दर्ज हुई हैं। उपभोक्ताओं का आरोप है कि जीएसटी दर घटने के बावजूद उत्पादों के दाम पहले जैसे ही बनाए रखे गए। मंत्रालय ने ई-कॉमर्स साइट्स पर अपनाए जा रहे ‘डार्क पैटर्न्स’ यानी उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाले डिज़ाइन और डिस्काउंट स्ट्रेटेजी पर भी चिंता जताई है। इन शिकायतों को जांच के लिए CBIC को भेजा गया है।
छोटे व्यापारियों की दलील और इन्वेंट्री का मुद्दा
दूसरी ओर छोटे कारोबारी तर्क दे रहे हैं कि उनके पास पहले से मौजूद स्टॉक पर पुरानी दरों से जीएसटी चुकाया गया है, इसलिए तुरंत कीमतें घटाना व्यवहारिक नहीं है। इस स्थिति में सरकार भी देख रही है कि किन मामलों में वास्तविक समस्या है और कहां जानबूझकर उपभोक्ता से अधिक वसूली की जा रही है।
उपभोक्ताओं के लिए आसान कदम
सरकार ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि यदि उन्हें लगता है कि किसी उत्पाद की कीमत पर जीएसटी कटौती का लाभ नहीं दिया गया, तो वे नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन या CBIC के हेल्पडेस्क पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इसके लिए खरीदारी का बिल और कटौती लागू होने की तारीख को सुरक्षित रखना ज़रूरी बताया गया है।
पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर
सरकार का साफ संदेश है कि जीएसटी दर में कमी का असर केवल कागज़ों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उपभोक्ता को सीधे लाभ मिलना चाहिए। ई-कॉमर्स कंपनियों और रिटेलर्स पर बढ़ती निगरानी से उम्मीद है कि पारदर्शिता बढ़ेगी और उपभोक्ताओं का भरोसा भी मजबूत होगा। आने वाले दिनों में फील्ड अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्यवाही तय की जाएगी।
