नितिन गडकरी का बड़ा बयान: सड़क सुरक्षा बनेगी राष्ट्रीय प्राथमिकता

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केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने देशवासियों को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा है कि सड़क सुरक्षा को सबसे बड़ी प्राथमिकता बनाया जाना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि सड़क हादसों की वजह से हर साल लाखों जानें जा रही हैं और यह समस्या केवल व्यक्तिगत त्रासदी तक सीमित नहीं है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और सामाजिक ढांचे पर भी गहरा असर डालती है। गडकरी ने कहा कि यदि अभी से ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले वर्षों में स्थिति और गंभीर हो सकती है।

भारत दुनिया के उन देशों में गिना जाता है जहाँ सड़क हादसों की संख्या सबसे अधिक है। हर साल होने वाली लाखों दुर्घटनाएँ और उनमें होने वाली मौतें चिंता का विषय हैं। गडकरी ने कई मौकों पर यह बात दोहराई है कि हादसों को कम करने की जिम्मेदारी केवल सरकार की नहीं बल्कि समाज के हर नागरिक की है। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा एक साझा ज़िम्मेदारी है और इसके लिए मिलकर प्रयास करना होगा।

सरकार ने 2030 तक सड़क दुर्घटनाओं में उल्लेखनीय कमी लाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए व्यापक रणनीति बनाई जा रही है जिसमें सड़क इंजीनियरिंग, कानून का पालन, शिक्षा और आपातकालीन सेवाएँ—चारों पहलुओं पर विशेष ज़ोर दिया जा रहा है। गडकरी ने कहा कि सड़कों का डिज़ाइन वैज्ञानिक तरीके से सुधारना, ब्लैक स्पॉट्स को खत्म करना और स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम लागू करना ज़रूरी है। वहीं, यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्ती बरती जाएगी और आधुनिक तकनीक का उपयोग कर निगरानी और नियंत्रण को और प्रभावी बनाया जाएगा।

इसके साथ ही, सरकार आम जनता में सड़क सुरक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ाने की दिशा में भी कदम उठा रही है। स्कूली पाठ्यक्रम में सड़क सुरक्षा से जुड़े अध्याय शामिल किए जा रहे हैं और बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। इन अभियानों का मकसद लोगों को यह समझाना है कि तेज़ गति, शराब पीकर गाड़ी चलाना, हेलमेट और सीट बेल्ट की अनदेखी जानलेवा साबित हो सकती है। गडकरी ने कहा कि जब तक लोग स्वयं नियमों का पालन नहीं करेंगे तब तक किसी भी सरकारी पहल का पूरा असर नहीं दिखेगा।

वाहनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने कई तकनीकी सुधार किए हैं। नई गाड़ियों में अतिरिक्त एयरबैग्स और सीट बेल्ट अलार्म अनिवार्य किए जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक़ क्रैश टेस्ट को भी प्राथमिकता दी जा रही है। दोपहिया वाहनों के लिए हेलमेट नियम और बच्चों के लिए विशेष सुरक्षा उपकरणों पर भी सख्ती बरती जा रही है।

हालांकि मंत्री ने यह स्वीकार किया कि तकनीकी सुधार और कानून काफी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती मानव व्यवहार है। लोग अक्सर लापरवाही से गाड़ी चलाते हैं, ट्रैफिक सिग्नल तोड़ते हैं और गति सीमा की अनदेखी करते हैं। गडकरी ने ज़ोर दिया कि ड्राइविंग ट्रेनिंग को मज़बूत बनाना और ड्राइवरों को सुरक्षा मानकों की जानकारी देना बेहद ज़रूरी है।

दुर्घटना होने के बाद राहत और बचाव कार्यों को भी सरकार ने प्राथमिकता दी है। गोल्डन ऑवर में त्वरित इलाज सुनिश्चित करने के लिए एम्बुलेंस नेटवर्क को विस्तारित किया जा रहा है। दुर्घटना पीड़ितों की जान बचाने वाले नागरिकों को सम्मानित और आर्थिक सहायता दी जा रही है। अस्पतालों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि वे दुर्घटना पीड़ितों का तुरंत इलाज करें।

गडकरी ने यह भी कहा कि सड़क हादसे केवल मानवीय त्रासदी नहीं बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी गंभीर मुद्दा हैं। दुर्घटनाओं के कारण उत्पादकता घटती है, परिवार आर्थिक संकट में फँस जाते हैं और स्वास्थ्य सेवाओं पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। यही कारण है कि सड़क सुरक्षा को केवल परिवहन विभाग का विषय न मानकर राष्ट्रीय विकास की प्राथमिकता के रूप में देखा जाना चाहिए।

अंत में, गडकरी ने सभी राज्य सरकारों, उद्योग जगत, गैर-सरकारी संगठनों और आम नागरिकों से अपील की कि वे सड़क सुरक्षा अभियान में भागीदार बनें। उनका कहना है कि यदि सरकार और समाज मिलकर काम करें तो आने वाले वर्षों में सड़क हादसों में बड़ी कमी लाना संभव है। सड़क सुरक्षा केवल कानून या तकनीक का मामला नहीं बल्कि हर परिवार की ज़िंदगी और देश के भविष्य से जुड़ा हुआ सवाल है।

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