गाज़ा पट्टी में संघर्ष लगातार तेज़ होता जा रहा है। इस बीच इजरायली सेना ने गाज़ा के सबसे बड़े और आबादी वाले शहर गाज़ा सिटी को आधिकारिक रूप से “युद्धक्षेत्र” (Combat Zone) घोषित कर दिया है। इस घोषणा के साथ ही वहां रोज़ाना लागू किए जाने वाले मानवीय विराम (humanitarian pause) को भी निलंबित कर दिया गया है। अब शहर में राहत सामग्री, भोजन और दवा जैसी ज़रूरी चीज़ों की आपूर्ति गंभीर रूप से प्रभावित होगी।
गाज़ा सिटी में बढ़ा मानवीय संकट
संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय राहत संगठनों ने पहले ही चेतावनी दी थी कि गाज़ा में भुखमरी और कुपोषण जैसी स्थिति उत्पन्न हो चुकी है। गाज़ा सिटी में लाखों लोग पहले से ही विस्थापित होकर रह रहे हैं। यहां बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की हालत बेहद खराब बताई जा रही है। अब मानवीय राहत रोकने के फैसले के बाद भोजन और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता और कम हो जाएगी।
इजरायल का तर्क और सैन्य कार्रवाई
इजरायली रक्षा बल (IDF) का कहना है कि गाज़ा सिटी को युद्धक्षेत्र घोषित करने का मकसद हथियारबंद गुटों के ठिकाने ध्वस्त करना और बंधकों को मुक्त कराना है। सेना ने दावा किया है कि यह ऑपरेशन अपने शुरुआती चरण में है और इसी कारण सुरक्षा कारणों से मानवीय विराम रोकना ज़रूरी हो गया। हालांकि, यह रोक केवल गाज़ा सिटी तक सीमित रहेगी, जबकि देइर अल-बेलाह और मूवासी जैसे अन्य क्षेत्रों में राहत कार्य आंशिक रूप से जारी रहेंगे।
राहत एजेंसियों की मुश्किलें
राहत एजेंसियों और मानवीय संगठनों ने इस कदम पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि पहले भी गाज़ा में बहुत सीमित मात्रा में ही राहत पहुंच रही थी और अब इस फैसले से हालात और बिगड़ जाएंगे। संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि गाज़ा के कई हिस्सों में लोगों को भोजन नहीं मिल पा रहा है और स्वास्थ्य सेवाएं लगभग ठप हो चुकी हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और अपील
संयुक्त राष्ट्र महासचिव सहित कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और देशों ने इजरायल से अपील की है कि मानवीय मार्ग (humanitarian corridors) खुले रखें ताकि राहत सामग्री सुरक्षित रूप से जरूरतमंद लोगों तक पहुंच सके। मानवाधिकार संगठनों ने भी कहा है कि गाज़ा सिटी जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्र में राहत रोकने से नागरिकों का जीवन और अधिक संकट में पड़ जाएगा।
आगे की स्थिति
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह निर्णय लंबा खिंचता है तो गाज़ा सिटी में भूख, बीमारी और विस्थापन की स्थिति और खराब होगी। सबसे ज्यादा असर बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ेगा। अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच यह देखना अहम होगा कि क्या इजरायल मानवीय पहुंच बहाल करता है या फिर सैन्य कार्रवाई को प्राथमिकता देता है।
