ट्रंप के 50% टैरिफ का बड़ा असर: भारत के कपड़ा, आभूषण और सोलर सेक्टर पर मंडराया संकट, जानें कौन रहेगा बेअसर

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नई दिल्ली, 8 अगस्त 2025 – अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित 50% तक के नए आयात शुल्क (टैरिफ) का असर भारत सहित दुनिया के कई देशों पर गहराता जा रहा है। ट्रंप प्रशासन की नई नीति के तहत ब्राज़ील, भारत, वियतनाम, थाईलैंड जैसे देशों से आने वाले उत्पादों पर शुल्क दरों में भारी वृद्धि की गई है।

यह फैसला “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत अमेरिकी उद्योगों और नौकरियों को बचाने के नाम पर लिया गया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इसका असर वैश्विक व्यापार पर व्यापक रूप से पड़ेगा।

भारत के किन क्षेत्रों पर पड़ेगा सबसे ज़्यादा असर?

टैरिफ वृद्धि से सबसे ज्यादा नुकसान भारतीय टेक्सटाइल (कपड़ा), आभूषण, ऑटो पार्ट्स, सोलर मॉड्यूल और कृषि आधारित उत्पादों को होने की आशंका है।

कपड़ा उद्योग:

अमेरिका भारत का एक बड़ा निर्यात बाजार है, जहां से हर साल अरबों डॉलर के रेडीमेड गारमेंट्स भेजे जाते हैं। टैरिफ बढ़ने से लागत और कीमतें दोनों बढ़ेंगी, जिससे मांग में कमी आ सकती है।

गहने और रत्न (जेम्स एंड ज्वैलरी):

भारत अमेरिका को बड़ी मात्रा में हीरे और सोने के आभूषण निर्यात करता है। अब इन पर शुल्क बढ़ने से अमेरिकी आयातक दूसरी जगहों से माल मंगवाने की कोशिश कर सकते हैं।

सोलर और ऑटो घटक:

सोलर पैनल्स और ऑटो पार्ट्स जैसे उत्पाद जो अब तक अमेरिका के लिए लाभकारी थे, अब महंगे हो सकते हैं, जिससे भारतीय निर्यातकों को झटका लग सकता है।

कौन-से सेक्टर रहेंगे बेअसर?

आईटी और सेवा क्षेत्र:

नई टैरिफ नीति सिर्फ वस्तुओं पर लागू की गई है, सेवाओं पर नहीं। भारत की बड़ी ताकत आईटी सेवाएं और आउटसोर्सिंग है, जिन पर यह असर नहीं डालेगी।

स्मार्टफोन जैसे प्रोडक्ट्स:

टेक्नोलॉजी कंपनियों, विशेष रूप से Apple ने कहा है कि अमेरिका में बिकने वाले ज्यादातर iPhones भारत में ही बनते हैं। इसलिए इनके दाम या आपूर्ति पर तत्काल कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होगा।

अमेरिका को क्या होगा फायदा और नुकसान?

संभावित फायदा:

अमेरिका में घरेलू निर्माण को बढ़ावा

कुछ अमेरिकी कंपनियों को चीन और भारत से उत्पादन हटाकर अमेरिका लाने का मौका

संभावित नुकसान:

उत्पादन लागत में 2% से 4.5% की वृद्धि

उपभोक्ताओं पर महंगाई का दबाव

Yale Budget Lab के अनुसार, एक अमेरिकी परिवार पर सालाना $2,400 का अतिरिक्त खर्च

भारत के लिए अगला कदम क्या हो सकता है?

नए निर्यात बाजार तलाशना: यूरोप, अफ्रीका और खाड़ी देशों की ओर झुकाव

FTAs और द्विपक्षीय समझौतों पर काम: जैसे UAE, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन से व्यापार समझौते

स्थानीय निर्माण और विविधीकरण पर ज़ोर

विशेषज्ञों की राय

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ये टैरिफ वैश्विक व्यापार में असंतुलन बढ़ा सकते हैं। भारत जैसे देशों को अपनी रणनीति तेजी से बदलनी होगी, ताकि वे अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम करें और नए क्षेत्रों में अवसर खोजें।

निष्कर्ष:

ट्रंप के टैरिफ बढ़ाने का फैसला सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं है—इसका प्रभाव भारत के उन क्षेत्रों पर पड़ेगा, जहां से बड़ा निर्यात अमेरिका को होता है। अब भारत के सामने चुनौती है कि वो निर्यात वैरायटी बढ़ाए, बाज़ारों का विविधीकरण करे और घरेलू उत्पादन को और सशक्त बनाए।

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