दक्षिण कश्मीर के कुलगाम ज़िले में एक बार फिर सुरक्षा बलों ने आतंक के मंसूबों को नाकाम करते हुए बड़ा ऑपरेशन अंजाम दिया है। तीन दिन से चल रहे इस अभियान में अब तक तीन आतंकवादी मारे जा चुके हैं और पूरे क्षेत्र को सुरक्षा घेरे में लेकर तलाशी अभियान जारी है।
कैसे शुरू हुआ ऑपरेशन?
1 अगस्त की शाम को सुरक्षा एजेंसियों को दक्षिण कश्मीर के आखल क्षेत्र (जिला कुलगाम) में आतंकियों की मौजूदगी की पुख्ता जानकारी मिली थी। सूचना मिलते ही भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और CRPF की संयुक्त टीम ने इलाके को घेरकर सर्च ऑपरेशन शुरू किया।
पहले दिन आतंकियों ने गोलीबारी कर सुरक्षाबलों को निशाना बनाने की कोशिश की, जिसके जवाब में मुठभेड़ शुरू हो गई।
ऑपरेशन “अखल” की खास बातें
इस अभियान को सुरक्षा बलों ने “ऑपरेशन अखल” नाम दिया है, जो इलाके के नाम पर आधारित है।
ऑपरेशन के दौरान सुरक्षा बलों ने आधुनिक संसाधनों जैसे ड्रोन सर्विलांस, थर्मल कैमरे, और नाइट विज़न डिवाइस का इस्तेमाल किया।
क्षेत्र में घने जंगल और पहाड़ी इलाका होने के कारण अभियान बेहद चुनौतीपूर्ण रहा।
सेना की रणनीति यह रही कि आतंकियों को भागने का कोई रास्ता न मिले।
अब तक की कार्रवाई में क्या हुआ?
पहले दिन दो आतंकवादी मारे गए।
दूसरे दिन आतंकियों ने फिर से फायरिंग की, जिसमें एक जवान मामूली रूप से घायल हुआ।
तीसरे दिन की शुरुआत में तीसरे आतंकी को भी मार गिराया गया।
एनकाउंटर स्थल से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी बरामद हुआ है।
घटनास्थल: आखल (कुलगाम)
आखल गांव, कुलगाम जिले का हिस्सा है और पिछले कुछ वर्षों में यह आतंकियों के लिए छिपने का गढ़ बनता जा रहा था। बीते महीनों में यहां आतंकियों की गतिविधियों में इजाफा देखा गया था। यह ऑपरेशन उसी प्रवृत्ति को तोड़ने की दिशा में एक कड़ा कदम माना जा रहा है।
सुरक्षा बलों की सूझबूझ और संयम
सुरक्षा एजेंसियों ने मुठभेड़ के दौरान नागरिकों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा। गांव में मौजूद लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया और यह सुनिश्चित किया गया कि किसी भी तरह का कोलैटरल डैमेज न हो।
सैनिकों ने ‘जीरो कैजुअल्टी’ नीति को अपनाते हुए आतंकियों को घेरकर मार गिराया।
इनपुट और खुफिया जानकारी की भूमिका
इस ऑपरेशन की सफलता में स्थानीय खुफिया तंत्र की भूमिका भी अहम रही। ग्रामीणों से मिली गुप्त सूचना और तकनीकी निगरानी ने आतंकियों की सटीक लोकेशन का पता लगाने में मदद की।
कौन थे ये आतंकी?
हालांकि मारे गए आतंकियों की शिनाख्त पूरी नहीं हुई है, लेकिन शुरुआती जांच में पता चला है कि इनका संबंध लश्कर-ए-तैयबा से हो सकता है। इनमें से दो हाल ही में पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) से घुसपैठ कर भारत में दाखिल हुए थे।
पिछली घटनाओं से जुड़ाव
इस ऑपरेशन को हाल ही में हुए पाहलगाम आतंकी हमले से भी जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें कई आम नागरिक मारे गए थे। ऐसी आशंका है कि मारे गए आतंकियों में से कुछ उस हमले से जुड़े हो सकते हैं। सुरक्षा एजेंसियां अब इस दिशा में भी जांच कर रही हैं।
आगे की रणनीति
सुरक्षा बलों का कहना है कि इलाके में तलाशी अभियान अभी जारी रहेगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि और कोई आतंकी छिपा न हो। इसके साथ ही आसपास के गांवों में भी गश्त बढ़ा दी गई है।
आधिकारिक बयान
भारतीय सेना की चिनार कॉर्प्स ने बयान जारी कर कहा कि,
“हम आतंकवाद के खिलाफ अपनी कार्रवाई जारी रखेंगे और जम्मू-कश्मीर में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
निष्कर्ष:
कुलगाम में चला यह ऑपरेशन दर्शाता है कि सुरक्षा बल कश्मीर में किसी भी आतंकी हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। स्थानीय लोगों के सहयोग और सटीक खुफिया जानकारी ने इस सफलता में अहम भूमिका निभाई।इस तरह की कार्रवाईयों से यह संकेत मिलता है कि घाटी में आतंक की कमर तोड़ने का समय अब निकट है।
